उत्तर प्रदेशगाजियाबाद

देवेन्द्र शर्मा ‘इंद्र’ पर केन्द्रित साहित्यिक समारोह

गाजियाबाद। शम्भू दयाल पोस्ट ग्रेज्युएट कॉलेज के सभागार में गाजियाबाद की साहित्यिक संस्था ‘संप्रति’ के तत्वावधान में कीर्ति शेष देवेन्द्र शर्मा इंद्र’ पर केन्द्रित  ‘इदं इंद्राय’ शीर्षक से सारस्वत समारोह आयोजित किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता फिरोजाबाद से पधारे प्रसिद्ध नवगीतकार डॉ. रामसनेहीलाल ‘यायावर’ ने की। दूर-दूर से पधारे साहित्यप्रेमियों ने उपस्थित होकर कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की । कार्यक्रम दो सत्रों में संपन्न हुआ । प्रथम सत्र के मुख्य वक्ताओं में जाने-माने नवगीतकार डॉ. राजेन्द्र गौतम, सुप्रसिद्ध गजल- विशेषज्ञ डॉ. जानकी प्रसाद शर्मा तथा डिग्री कॉलेज अतर्रा के पूर्व प्रधानाचार्य तथा संस्कृत के विद्वान डॉ. बिशन लाल गौड़ ‘व्योमशेखर’ जी रहे। संप्रति की ओर से महासचिव वेद शर्मा वेद ने विषय प्रवर्तन करते हुए कीर्तिशेष इंद्र जी से जुड़े संस्मरणों के साथ उनके कृतित्व पर प्रकाश डाला । सभी वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त करते हुए इंद्र के अप्रकाशित साहित्य के शीघ्र प्रकाशन की आवश्यकता पर जोर दिया । इस अवसर पर संप्रति के अध्यक्ष योगेन्द्र दत्त शर्मा द्वारा संपादित स्मृति अंक गीत ऋषि देवेन्द्र शर्मा ‘इन्द्र’ का विमोचन किया गया । इसी के साथ संप्रति के महासचिव वेद प्रकाश शर्मा ‘वेद’ द्वारा लिखी समालोचनात्मक पुस्तक ‘इन्द्र-गीत यात्रा’ का तथा तथा डॉ. प्रफुल्लता तिवारी के शोधग्रन्थ “नवगीत को देवेन्द्र शर्मा ‘इन्द्र’ का अवदान का भी विमोचन किया गया । डॉ. राजेन्द्र गौतम ने इंद्र द्वारा अपने समय के साहित्यकारों को लिखे गये पत्रों को भी अमूल्य साहित्यिक निधि बताकर पत्रों के प्रकाशन का भी सुझाव दिया । डॉ. जानकी प्रसाद शर्मा द्वारा इंद्र के गजल साहित्य की विशेषता पर प्रकाश डाला। डॉ. व्योमशेखर ने इन्द्र जी के संस्कृत तथा पालि, प्राकृत, अपभ्रंश आदि भाषाओं के प्रखर विद्वान होने के संदर्भ में अपने उद्गार व्यक्त किये। समारोह के अध्यक्ष यायावर ने इंद्र जी के नवगीतकार रूप की विस्तृत व्याख्या की तथा इंद्र से लिये साक्षात्कार का उल्लेख किया। संप्रति के अध्यक्ष डॉ. योगेन्द्र दत्त शर्मा द्वारा इस आयोजन की रूपरेखा और ऐतिहासिक संदर्भों पर प्रकाश डाला गया। समारोह के दूसरे सत्र में दूर-दूर से पधारे इंद्र के प्रसंशकों तथा विभिन्न प्रेमियों के काव्य पाठ का आयोजन किया गया जिसमें सभी कवियों ने इंद्र से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए अपना कविता पाठ किया। इस सत्र का संचालन संस्था के समन्वयक जगदीश पंकज ने किया।

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