
- राहुल गांधी कब काटेंगे शेरों की जंजीर और निकालेंगे गीदड़ों को बाहर
- शेर अगर शेर हैं तो अभी तक क्यों बंधे हैं जंजीरों में
कमल सेखरी
शेरों को जंजीरों में बांधा जाएगा और गीदड़ों को खुलेआम घूमने के लिए आजाद छोड़कर रखा जाएगा। दो दिन पहले गुजरात के अहमदाबाद शहर में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने अपने एक सार्वजनिक बयान में जो कहा उसका सीधा अर्थ तो ये ही निकलकर आ रहा है। राहुल गांधी ने कहा है कि हमारी पार्टी कांग्रेस में कई ऐसे नेता हैं जो भाजपा की बी टीम बनकर काम कर रहे हैं। हमने उन्हें पहचान लिया है अब जल्द ही उन्हें पार्टी से निकालकर पार्टी को साफ किया जाएगा। उनका यह भी कहना था कि ये नेता एसी में बैठकर विलासता का आनंद ले रहे हैं और भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। श्री गांधी ने अपने इस बयान में यह भी कहा कि हमारे पास पार्टी में कई बब्बर शेर हैं जो अभी जंजीरों में बंधे हैं उन्हें जल्द खोला जाएगा। राहुल गांधी कहना क्या चाहते हैं कि शेरों को जंजीरों में बंधा रहने दिया जाए और बहरुपी गीदड़ों को खुलेआम आजाद छोड़ दिया जाए ताकि वे विरोधी दल भाजपा की बी टीम बनकर खुलेआम काम कर सकें। राहुल जी इन गीदड़ों को पाल पोसकर इतना बड़ा कौन कर रहा है। क्यों कर इन गीदड़ों के लिए आलीशान अस्तबल बना रखे हैं, क्यों इन्हें महंगा खाना और ड्राईफ्रूटस खिलाए जा रहे हैं। बकौल आपके अगर ये गीदड़ कूड़ा हैं तो इन्हें अस्तबल से निकालकर बाहर क्यों नहीं फेंक देते। कूड़ा जहां जाना है अपने आप चला जाएगा। अगर भाजपा ने अपने यहां बड़े-बड़े कूड़ेदान लगा रखे हैं तो ये कूड़ा खुद ब खुद उस कूड़ेदान में गिरकर हमेशा के लिए कूड़ा बन जाएगा। लेकिन आप अपने शेरों को क्यों बांधे हुए हैं। एक तरफ आप ये कहते हैं कि देश में जंगलराज आ गया है और उस जंगलराज को खत्म करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता भी जाहिर कर रहे हैं तो फिर शेरों को बांधकर क्यों रखा गया है। आप विपक्षी दलों में प्रतिपक्ष के नेता हैं और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के समकक्ष विकल्प के रूप में एकलौते बड़े दल हैं फिर जो शेर आपके पास हैं अगर वो शेर हैं और आपके पास हैं तो उनकी जंजीरें काट दीजिए, उन्हें जंगलराज की सफाई करने के काम में लगा दीजिए। खाली कहने भर से काम नहीं चलता है। परिस्थितियों को परिवर्तित करने की योग्यता और क्षमता भी सत्ता दल के सामने बराबर का अस्तित्व रखने वाली राजनीतिक पार्टी का यह पहला दायित्व भी है कि वो अपने उन दावों को पूरा करके दिखाए जिसका वो दम भरती है। शेर अगर सही मायने में शेर है और मिटटी के शेर नहीं है तो उन्हें बांधकर रखना भी देश की मौजूदा परिस्थिति में सबसे बड़ा राजनीतिक पाप है।
या तो आप यह कहना बंद कीजिए कि आपके पास कई बड़े बब्बर शेर हैं या फिर उन्हें बांधकर रखने का काम बंद कीजिए। इन शेरों को जंजीर में बांधने की कला में आपको निपुणता कब और कहां से हासिल हो गई। अगर कांग्रेस के पास ये निपुणता और क्षमता है और उसके पास बड़ी संख्या में शेर मौजूद हैं तो उन्हें और अधिक समय तक बांधकर रखना देश के हित में नहीं होगा। आपकी यह कथनी कहीं उपहास ना बन जाए और कांग्रेस को और अधिक नुकसान ना पहुंचा दे तो आपको खुलकर ठोस निर्णय लेने होंगे पार्टी के अंदर से गीदड़ों की भारी संख्या को निकालकर शेरों के हाथों में कमान जल्द ही सौंपनी होगी।