- नाभी से पैरों तक पजामा के आकार की ट्यूब लगाई गई
गाजियाबाद। कौशांबी स्थित यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी में अफ्रीकन मूल के जांबिया निवासी 59 वर्षीय मैथ्यू डिक्सन का हाइब्रिड विधि जिसमें दूरबीन एवं बहुत ही कम चीरे के आॅपरेशन से सफलतापूर्वक इलाज किया गया।
हॉस्पिटल में आयोजित एक प्रेस वार्ता में हॉस्पिटल के कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जन डॉक्टर आयुष गोयल ने बताया कि मैथ्यू को चलने में दिक्कत होती थी, कूल्हे एवं पैरों में सूजन एवं दर्द की शिकायत थी। उनकी यह सूजन इतनी गंभीर थी कि यह कभी भी फट सकती थी और इसका गंभीर खतरा यह था कि 5 लीटर प्रति सेकंड के हिसाब से खून बाहर आ सकता था। ऐसे में मैथ्यू ने जब अपने देश में जांच कराई तो उन्हें पता चला कि उनकी शरीर की खून की सबसे मोटी रक्त वाहिनी में सूजन है और उसमें कचरा भी फंस गया था। उस जांच की रिपोर्ट को मैथ्यू ने अपने मित्र के माध्यम से यशोदा हॉस्पिटल कौशांबी के डॉक्टरों को भेजा जहां टेलीमेडिसिन के माध्यम से मैथ्यू को बताया गया कि इसका इलाज हो सकता है और वह सारे प्रावधानों को पूरा करते हुए भारत आ गए। डॉक्टर आयुष गोयल ने बताया कि उनके एआॅर्टिक एन्यूरिज्म जानी सबसे मोटी नली में कचरा जाने का इलाज छोटे से चेहरे से छल्ला डालकर किया गया और जांघ से दूरबीन विधि द्वारा ट्यूब डालकर उनका इलाज किया गया। यह ट्यूब पैंटालून या पजामा के आकार की थी जिसे डालना बहुत ही जटिल होता है।
अस्पताल के डायरेक्टर क्लीनिकल सर्विसेज डॉक्टर आरके मनी ने बताया कि यह गाजियाबाद में इस तरह का पहला आॅपरेशन है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में या पूरे उत्तर प्रदेश में इस तरह का पहला आॅपरेशन ही होगा। मैथ्यू एक महीने के करीब भारत में रहे और अब वह फिर से चल फिर सकते हैं और अपने को बिल्कुल सामान्य महसूस कर रहे हैं और उनकी दिनचर्या फिर से नियमित हो गई। मैथ्यू ने कहा कि वह हॉस्पिटल के इलाज से बहुत ही खुश हैं। 19 जनवरी को मैथ्यु की सर्जरी की गई थी और 22 जनवरी को हॉस्पिटल से उनको छुट्टी दे दी गई थी, डॉक्टरों की टीम ने इस आॅपरेशन में 5 घंटे लगाए। हॉस्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनुज अग्रवाल ने बताया कि इस आॅपरेशन में खून की सबसे बड़ी धमनी का रिपेयर दूरबीन विधि से किया गया जो अपने आपमें दुर्लभ एवं जटिल आॅपरेशन है। साथ ही साथ इसी आॅपरेशन के साथ पैर की नसों में छल्ला भी डाला गया और दूरबीन विधि से ट्यूब बी डाली गई और मरीज केवल 2 दिन में रिकवर कर अपने पैरों पर चल सका।