कमल सेखरी
देश की राजधानी दिल्ली से पंजाब में अपनी दखल बनाने के बाद आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने अब उत्तराखंड में अपनी दस्तक देनी शुरू कर दी है। पिछले 15 दिन में केजरीवाल ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के दो बार दौरे किए हैं और दोनों ही बार कार्यकर्ताओं में तो उत्साह बनता नजर आया ही है साथ ही वहां मिली मीडिया कवरेज से आम जनता में भी केजरीवाल के नाम की चर्चा होनी शुरू हो गई है। छोटे कद के इस फुर्तीले राजनेता ने थोड़े ही समय में अपनी एक अलग पहचान बना ली है और अब उत्तराखंड में की गई घोषणाओं को लेकर केजरीवाल वहां आम आदमी के आकर्षण का केन्द्र भी बन रहे हैं। हर घर को तीन सौ यूनिट बिजली मुफ्त का उनका नारा तेजी से लोगों के दिमागों में अपनी जगह बना रहा है। मुफ्त बिजली के ये पोस्टर उत्तराखंड के शहरी इलाकों से अलग ग्रामीण क्षेत्रों के अंदर भी गहराई से पहुंच गए हैं। मसूरी रोड से जुड़े गांव जोड़ी, पुरकुल, अभिन्यु एकेडमी क्षेत्र, सिंगली और बिष्ट गांव तक भी तीन सौ यूनिट मुफ्त के छोटे-बड़े पोस्टर लगे दिखाई दे रहे हैं। इसी तरह राजधानी की घनी आबादी वाले क्षेत्र प्रेमनगर, आर्यनगर, जाखंड से जुड़ी छोटी-छोटी बस्तियों में भी केजरीवाल का यह संदेश बड़ी तेजी से घर-घर पहुंच रहा है। किसी भी आम आदमी से पूछो तो उसका कहना है कि सस्ती बिजली, सस्ता पानी, अच्छे सरकारी स्कूलों में शुलभ शिक्षा और सरकारी अस्पतालों में सस्ती और बेहतर स्वास्थ सेवाएं उपलब्ध कराने की उपलब्धियां केजरीवाल के नाम के साथ जुड़कर चल रही हैं। लोगों का कहना है कि भाजपा, कांग्रेस उन्हें क्या देगी रोजमर्रा की जरूरतों को केजरीवाल वैसे ही पूरा करेगा जैसे दिल्ली में करके दिखा रहा है। हालांकि आम आदमी पार्टी की इस दस्तक को सत्ता दल भाजपा बड़े ही हल्केपन से ले रही है। भाजपा के कई बड़े नेताओं का कहना है कि केजरीवाल का रंग जितना अधिक उत्तराखंड में चढ़ेगा उसका नुकसान शतप्रतिशत कांग्रेस को ही होगा। इससे भाजपा को मदद मिलेगी और अगले चुनाव में इसका रास्ता कांग्रेस को लेकर अधिक साफ हो जाएगा लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा की यह सोच गलत है। आम आदमी पार्टी अपनी जो भी जगह बनाएगी उसका पहला असर भाजपा पर और दूसरा असर कांग्रेस पर पड़ेगा। ऐसे में यह भी हो सकता है कि भाजपा फिर से सरकार बनाने की स्थिति से काफी दूर चली जाए और कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी मिलकर उत्तराखंड की सत्ता को कब्जा लें। केजरीवाल की इन लंबी छलांगों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। इस उछलकूद का जो भी परिणाम होगा वो भाजपा व कांग्रेस दोनों में ही बराबर का नुकसान पहुंचाएगा।