कमल सेखरी
दुबई में दो दिन पहले ही आरंभ हुए टी-20 क्रिकेट विश्व कप का खिताब जीतने का सपने देखने वाले भारतीय क्रिकेट टीम कल खेले गए अपने पहले ही मैच में बुरी तरह से या यूं कहें शर्मनाक तरीके से परास्त हो गई। अपने पिछले कुछ समय के प्रदर्शन के आधार पर हमने यह मान लिया था कि हम क्रिकेट की दुनिया के बेताज बादशाह हैं, हमारा कोई सानी नहीं है और हमें किसी भी देश की क्रिकेट टीम हरा नहीं सकती। अपनी इसी श्रेष्ठता का इतना अभिमान हमें हो गया था कि हम उसके अहंकार का शिकार हुए और कुछ समय से निरंतर मिलती जीत के गुमान ने हमको आसमान से जमीन पर ला पटका। हम पहला मैच हारे भी तो अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान से हारे। जिस पाकिस्तान को हमारे राजनेता पिद्दी न पिद्दी का शोरवा कहते नहीं थकते हैं और जिसे लेकर यह भी अक्सर कहते नजर आते हैं कि पाकिस्तान अगर अपनी आतंकी गतिविधियों से बाज नहीं आया तो हम उसे उसके घर के अंदर जाकर मारेंगे और उसका नामोनिशान ही मिटा देंगे। इतना ही नहीं सत्ता शक्ति की आरती उतारने वाले हमारे गोदी मीडिया ने तो पिछले दस दिनों से एक ऐसा एकतरफा अभियान चलाया जिससे लगता था कि हमारी भारतीय क्रिकेट टीम पाकिस्तान की क्रिकेट टीम को पहले ही मैच में छठी का दूध पिला देगी और उसे बच्चों की तरह रौंद देगी। महेन्द्र सिंह धोनी के इस विश्वकप में मैंटोर बनाए जाने को लेकर हमारा पूरा मीडिया इतना उत्तेजित था कि हर रोज थोड़ी-थोड़ी देर बाद यही कहता नजर आ रहा था कि धोनी के भारतीय क्रिकेट टीम में मार्गदर्शक जुड़ने से पाकिस्तान थर्रा उठा है। उसके पसीने निकलने शुरू हो गए हैं। विराट कोहली की सेना की मजबूती आंक कर पाकिस्तानी क्रिकेट टीम कांपने लगी है। हम ऐसा सबकुछ एक ऐसी अज्ञानता में बोलते रहे कि क्रिकेट महज एक गेंदबाज या एक बल्लेबाज का ऐसा खेल है कि अगर वो चल गए तो बड़ी से बड़ी महाबली टीम को धरती पर लिटा सकते हैं। कल भी कुछ ऐसा ही हुआ। पाकिस्तान के दो आरंभिक गेंदबाजों ने हमारे प्रारंभ के तीन दिग्गज बल्लेबाजों को एक-एक करके पांच रन बनाने से पहले ही वापिस पवैलियन भेज दिया। उनके तेज गेंदबाज शाईन अफरीदी ने मैच आरंभ होने से पहले ही यह घोषणा की थी कि वो भारत के शीर्ष बल्लेबाज के केएल राहुल, रोहित शर्मा और विराट कोहली के विकट लेने की कोशिश करेगा और उसने ऐसा करके दिखा भी दिया। हालांकि भारत की टीम किसी तरह 151 रनों का योग जोड़ सकी जो अगर पुरजोरता से गेंदबाजी करके प्रदर्शन किया जाता तो पाकिस्तान को हराया भी जा सकता था। लेकिन हमारी विराट सेना के छह दिग्गज गेंदबाज इस पूरे मैच में पाकिस्तान का एक विकेट भी नहीं गिरा पाए। नतीजा यह रहा कि विश्व चैंम्पियन बनने का सपना देखने वाली भारतीय क्रिकेट टीम अपने से दस गुणा छोटे आकार के मुल्क की क्रिकेट टीम से दस विकेट से हार गए। ऐसी शर्मनाक हार शायद पूर्व में भारत की तो क्या अन्य किसी देश की क्रिकेट टीम की कभी नहीं हुई। हमें कल हुई शर्मनाक हार से यह सबक लेना चाहिए कि हम क्रिकेट जैसे खेल में कभी न तो अंहकार करें, न अधिक उत्साहित हों और न ही अपनी पूर्व की जीतों पर अधिक गुमान करें। हमारे मीडिया को सबक लेना चाहिए कि वो भारत की जीत के ऐसे पूर्व अनुमान न लगाए जिससे खिलाड़ियों पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव बने और वो उस दबाव में खेल पर ही अपनी पकड़ कमजोर कर जाएं। इस विश्वकप के आगे बचे बकाया मैचों में भारतीय क्रिकेट टीम को अधिक गंभीरता से खेलना होगा क्योंकि जिस टीम से वो कल बुरी तरह हारे हैं वो टीम फाइनल मैच से पहले कुछ और देशों से हार भी सकती है। ऐसे में भारतीय क्रिकेट टीम को यह आंक कर ही चलना होगा कि विरोधी टीम का हर गेंदबाज घातक हो सकता है और विरोधियों का हर बल्लेबाज शूरमा भी हो सकता है।