- आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दिये कई गंभीर बयान
- मोदी-योगी के बीच कौन बड़ा हिन्दू नेता, इसकी लगी है होड़
- हिन्दू-मुस्लिम और सामाजिक न्याय व जातिगत जनगणना के मुददों पर किसे मिलेगा अधिक जनविश्वास
कमल सेखरी
हमारा देश धर्म और अधर्म के बीच खड़ा नजर आ रहा है। यह बयान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का है। श्री भागवत अपने इस बयान में किसे धर्म के साथ खड़ा मान रहे हैं और किसे अधर्म के साथ खड़ा मान रहे हैं, इसका विस्तार से उल्लेख तो उन्होंने नहीं किया लेकिन मोहन भागवत अब से पहले भी कई बार अपने छोटे-बड़े भाषणों में दो चार लाइन का ऐसा कुछ जरूर कह जाते हैं जिसका मतलब राजनीतिक तौर पर बड़ा गहरा होता है। श्री भागवत ने अब से पूर्व एक बयान यह भी दिया था कि हमें उन हिन्दुओं के बारे में भी विचार करना होगा जिन पर दो हजार वर्षों से अत्याचार होता आ रहा है। अब यह अत्याचार दो हजार सालों से किन हिन्दुओं पर हो रहा है और वो कौन लोग कर रहे हैं इसके स्पष्ट मायने तो लगाए जा सकते हैं लेकिन क्योंकि श्री भागवत ने खुलकर यह आरोप किसी पर नहीं लगाया इसलिए उनका यह बयान मायने लगाने के दायरे में ही इलझ कर रह गया है। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान और आम चुनाव के परिणाम आने के बाद भी श्री भागवत ने कुछ ऐसे ही उलझे हुए बयान दिये जिनके बड़े गहरे मतलब निकलते थे, उन्होंने अपने एक बयान में यह भी कहा कि जो जनसेवक होते हैं उन्हें अंहकार से दूर रहना चाहिए। उनका इसी दौरान यह भी कहना था कि राजनेता खुद को अवतार बताकर आम आदमी से जुड़कर नहीं रह सकता। श्री भागवत के ये सब बयान अगर श्रंखलाबद्ध जोड़कर संजीदगी से विचार करते हुए मायने निकाले जाएं तो स्पष्ट संकेत निकलकर आते हैं कि वर्तमान केन्द्र की सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। अब पिछले आम चुनावों के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बीच जो अलग से एक बातचीत हुई उसके बाद से योगी आदित्यनाथ के तेवरों में काफी बदलाव नजर आ रहा है। योगी आदित्यनाथ हिन्दू मतदाताओं को लेकर हिन्दुत्व के बयानों में इतनी तेजी पकड़ रहे हैं जिसका पहला कभी अनुमान नहीं लगाया गया। सनातन धर्म और हिन्दुओं के पक्ष में जो बयान मुख्यमंत्री योगी इन दिनों खुलकर दे रहे हैं उससे देश के राजनीतिक गलियारों में एक हड़कंप सी मची हुई है। हालांकि विपक्षी दल भी निरंतर उनके बयानों की काट निकालकर नए नारे जनता में देने में लगे हैं लेकिन योगी आदित्यनाथ हर दूसरे दिन हिन्दुओं के लिए कोई ऐसा नारा अपने बयान में दे देते हैं जिससे यह संकेत मिलता है कि भाजपा अब खुलकर हिन्दू-मुसलमान का खेल खेलने लगी है। योगी जी के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इसी तरह के कुछ बयान निरंतर दे रहे हैं लेकिन वो अपनी बात को दबी जुबान से कह रहे हैं जबकि योगी जी इस मुददे पर खुलकर बोल रहे हैं। राजनीतिक विशलेषकों को यह भी मानना है कि योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच इस बात की होड़ लगी है कि उनमें हिन्दुओं में बड़ा नेता कौन है।
योगी-मोदी के बीच चल रही होड़ की इस दौड़ में लगता कि आरएसएस मुख्यमंत्री योगी की कमर अधिक थपथपा रही है इसलिए हरियाणा के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हिन्दू चेहरा दिखाकर अधिक कार्यक्रम लगाए जा रहे हैं। अब भाजपा की हिन्दू-मुस्लिम नीति के सामने इंडिया गठबंधन के नेता अखिलेश यादव ने पीडीए का रास्ता पकड़ लिया है और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने आरक्षण और जातिय जनगणना को अपना मुख्य आधार बना लिया है। अब देखना है कि भाजपा के धार्मिक आधार और इंडिया गठबंधन के सामाजिक न्याय और समानता के नारों के बीच आने वाले समय में देश की जनता किसे चुनती है। देश धर्म और अधर्म के बीच कहां खड़ा है कौन धर्मी है कौन अधर्मी है, दो हजार सालों से कौन किस पर अत्याचार कर रहा है, जातिय जनगणना कराकर आरक्षण का लाभ गरीब और निचले तबके को कहां तक दिया जाएगा या नहीं, इन सब बातों का देश की जनता ही अपने वोट के अधिकार से जवाब दे सकती है।