देहरादून। 29 जुलाई को पूरी दुनिया ‘इंटरनेशनल टाइगर डे’ मनाती है। बाघ भारत के राष्ट्रीय पशु हैं वही देश में बाघों के सरंक्षण में उत्तराखंड अहम भूमिका निभाता रहा है। कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ी जिसके बाद बाघ हिमालय की तरफ जाने लगे। वहीं बढ़ते बाघों की संख्या चुनौतियां भी बढ़ा रहा है। इस सबको देखते हुए वन महकमे ने वासस्थल विकास पर खास ध्यान केंद्रित किया है, ताकि बाघ जंगल की देहरी पार न कर सकें। जाहिर सी बात है सरंक्षण के लिए उठाए गए फैसलों के कारण ही प्रदेश में लगातार बाघों की संख्या बढ़ी है।
2008 में बाघों की संख्या 179 थी, 2018 में 442 पहुंच गई। और अखिल भारतीय बाघ गणना के मुताबिक संख्या के लिहाज से उत्तराखंड को तीसरा स्थान मिला। उत्तराखंड में जिस हिसाब से बाघ बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए अगली गणना में यह आंकड़ा पांच सौ के करीब तक बताया जा रहा है।