- डायरिया से बचाव के लिए दे रहीं हाथ साफ रखने की सलाह
गाजियाबाद। डायरिया (दस्त) होने का सबसे प्रमुख कारण सफाई का अभाव होना है। दरअसल यह एक संक्रमण है। संक्रमण से पाचन क्रिया खराब हो जाती है और मल पानी जैसा हो जाता है। पानी अधिक जाने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इसलिए डायरिया में लापरवाही नहीं होनी चाहिए, खासकर बच्चों के मामले में। यह बातें हापुड़ की मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. रेखा शर्मा ने कहीं। उन्होंने बताया गर्मी के मौसम में डायरिया ज्यादा खतरनाक रूप धारण कर लेता है। उसका कारण है कि गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की कमी जल्दी हो जाती है। इसलिए सलाह दी जाती है कि बच्चे को डायरिया होने की शिकायत पर तत्काल ओआरएस घोल देना शुरू कर दें। इस संबंध में जागरूकता के लिए जनपद में 15 जून तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डा. प्रवीण शर्मा ने बताया कि जनपद में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े के तहत आशा कार्यकर्ताओं की 200 टीम घर-घर जाकर जागरूकता अभियान चला रही हैं। अभियान के तहत छह वर्ष तक के बच्चों वाले घरों पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। आशा इन घरों में पहुंचकर पूरे परिवार के स्वास्थ्य का हाल लेने के साथ ही इस मौसम विशेषकर बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सलाह दे रही हैं। आशा बता रही हैं कि डायरिया में लापरवाही घातक हो सकती है। डायरिया के कारण और बचाव पर जानकारी के दौरान आशा बताती हैं कि डायरिया से बचाव का मूल मंत्र हाथों की सफाई में छिपा है। दरअसल, बच्चे गंदे हाथों से कुछ खाते हैं संक्रमण का शिकार हो जाते हैं। इसलिए उन्हें सिखाएं कि खाना खाने से पहले और खाना खाने के बाद हाथों को साबुन – पानी से अच्छी तरह से धोना जरूरी है।
डा. शर्मा ने बताया कि बचाव में चूक होने पर उपचार की जरूरत होती है। आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर बता रही हैं कि बच्चे को यदि डायरिया हो जाए तो तत्काल उसे ओआरएस का घोल देना शुरू कर दें। एहितियात के तौर पर ओआरएस के पैकेट और जिंक की गोलियां वितरित की जा रही हैं। इसके अलावा आशा कार्यकर्ता घर में ओआरएस घोल बनाकर भी सिखा रही हैं ताकि घर में ओआरएस का पैकेट न होने पर जरूरत पड़ने पर बच्चे को डीहाईड्रेशन से बचाने के लिए तत्काल ओआरएस का घोल पिलाया जा सके।