- राजस्थान के तीन विश्वविद्यालयों और आई.एम.टी. गाजियाबाद के बीच हुआ एमओय ू
गाजियाबाद। देश में खेल संस्कृति को विकसित करने तथा परम्परागत खेलों को अनुरक्षित करने के लिए देश के विख्यात मैनेजमेंट स्कूल आईएमटी गाजियाबाद ने स्पोर्ट्स रिसर्च सेंटर की स्थापना की है। खेलों पर शोध करने वाला यह देश का पहला प्रयास है। आईएमटी की इस पहल की गंूज अब उत्तर प्रदेश की सीमाओं से बाहर दूसरे राज्यों में सुनाई दे रही है। गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के लिए यह गौरव की बात है कि राजस्थान के तीन विश्वविद्यालयों ने अपने राज्य के पारम्परिक खेलों पर शोध करने के लिए आईएमटी गाजियाबाद के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किये हैं। राजस्थान के तीन विश्वविद्यालय मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर और गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय, बाँसवाड़ा और आईएमटी गाजियाबाद के बीच यह एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित राजभवन, जयपुर में राज्यपाल कलराज मिश्र की उपस्थिति में हुआ। इस एमओयू की महत्ता इस बात से समझी जा सकती है कि स्वयं राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र की गरिमामय उपस्थिति में यह एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित हुआ और एमओयू के प्रपत्रों का आदान-प्रदान हुआ। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर और गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय, बाँसवाड़ा के कुलपति प्रो. आईवी. त्रिवेदी और आईएमटी गाजियाबाद के निदेशक डॉ. विशाल तलवार ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये। कुलपति प्रो. आईवी. त्रिवेदी ने बताया कि आईएमटी गाजियाबाद के स्पोर्ट्स रिसर्च सेन्टर के हैड डॉ. कनिष्क पांडेय द्वारा इस क्षेत्र में खेलों की स्थिति को लेकर एक अध्ययन किया। अध्ययन को आगे बढ़़ाने के लिए विश्वविद्यालयों से सम्पर्क किया गया और इस क्षेत्र में खेलों के भविष्य को सुरक्षित व सुदृढ़ रखने के लिए विश्वविद्यालय ने इस कार्य को आगे बढ़़ाने का निर्णय लिया। इसके परिणामस्वरुप यह एमओयू हस्ताक्षरित किए गए। र्
आईएमटी गाजियाबाद के निदेशक डॉ. विशाल तलवार ने बताया कि आईएमटी गाजियाबाद देश का अकेला ऐसा संस्थान है जहां पर खेल को संस्कृति बनाने के लिए निरन्तर शोध किया जा रहा है और साथ ही साथ देश के सुदूर क्षेत्रों में पारम्परिक खेलों को पहचान कर उन्हें पुनर्जीवित करने और उन्हें प्रोत्साहित करने का भी लगातार अध्ययन चल रहा है। देश के विख्यात स्पोर्ट्स रिसर्चर डॉ. कनिष्क पांडेय के नेतृत्व में यह शोध केन्द्र कई उपलब्धियां अर्जित कर चुका है, जिसमें स्पोर्ट्स लिटरेसी मिशन, मॉडल स्पोर्ट्स विलेज, स्पोर्ट्स थैरेपी आदि प्रमुख है।
स्पोर्ट्स रिसर्च सेन्टर, आई.एम.टी. गाजियाबाद के हैड डॉ. कनिष्क पाण्डेय ने बताया कि हमारे देश में कुछ साल पहले तक खेलों के प्रति संकीर्ण विचारधारा चली आ रही है। लोगों को लगता था कि खेल सिर्फ मनोरंजन के लिए और मेडल जीतने के लिए होते हैं और यही विचारधारा एक प्रमुख कारण है कि क्यों हमारे भारत देश मेंं खेल संस्कृति विकसित नहीं हुई और न हमारे यहां खेलों पर शोध हुए और ना ही खेलों की शक्ति का उपयोग किया गया। खेलों के माध्यम से लोगों का शारीरिक, मानसिक, चारित्रिक विकास किया जा सकता है, साथ ही आम जनमानस को अवसादमुक्त भी कर सकते हैं। खेल संस्कृति की नगण्ता तथा खेल निरक्षरता ही कारण है कि आज हमें यह जानकारी है कि घूमर, भवई, कालबेलिया, तेरह ताली आदि हमारे राजस्थान राज्य के कुछ प्रमुख लोक नÞृत्य हैं। आज हमें यह पता है कि बणी-ठणी, शेखावटी आदि हमारी कुछ प्रमुख चित्रकलाएं हैं परन्तु राजस्थान के प्रमुख लोक खेल कौन से हैं इसका ज्ञान आज भी अवलम्बित् है और इसी खेल निरक्षरता को दूर करने के लिए और जनमानस तक लोक खेलों की जानकारी पहुँचाने के लिए आईएमटी गाजियाबाद राजस्थान राज्य के 3 प्रमुख विश्वविद्यालयों के साथ एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित कर रहा है। आने वाले वर्षों में हमारे द्वारा पारम्परिक खेलों को न सिर्फ इन क्षेत्रों में विकसित किया जायेगा अपितु पूर्ण विश्वास भी है कि राजस्थान के अन्य क्षेत्रों में भी इन्हें विकसित कर सकेंगे।
इस अवसर पर राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने बताया कि जीवन में खेलों का महत्व र्निविवाद है। खेलों से जहाँ शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है, वहीं खेल के दौरान अर्जित मूल्यों से व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास भी होता है। हर व्यक्ति का खेलों से जुड़ना और खेलों के प्रति सकारात्मक दÞृष्टिकोण रखना ही खेल संस्कृति है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खेलों के महत्व को बखूबी पहचाना है और उसे देश में जो स्थान मिलना चाहिए, उसके लिए सतत प्रयत्नशील भी हंै। खेलो इंडिया मिशन इन्हीं उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रारम्भ किया गया है। मुझे खुशी है कि आईएमटी गाजियाबाद में प्रधानमंत्री के मिशन को आत्मसात करते हुए देश में पहली बार स्पोर्ट्स रिसर्च सेन्टर की स्थापना की है। यह बहुत ही सामयिक एवं सराहनीय पहल है। शोधपरक अध्ययन क े साथ ही देश में खेल संस्कृति को आगे बढ़़ाया जा सकता है।
डॉ. कनिष्क पाण्डेय ने बताया कि दोनों संस्थान मिलकर खेल के क्षेत्र में कार्य करने के लिए सहमत हुए हैं। खेल की वर्तमान स्थिति का अध्ययन, इस क्षेत्र में खेल साक्षरता की समीक्षा और उसको बढ़़ावा देने के लिए उपाये, ओलिम्पक से सम्बन्धित खेलों की स्थिति और उसके प्रोत्साहन के प्रयास, पूरे क्षेत्र में ऐसे तमाम पारम्परिक खेल हैं, जिनका अपना इतिहास रहा है वे खेल कौन-कौन से हैं, आज उनकी क्या स्थिति है, उनके क्या लाभ थे, उनकी उपयोगिता कम क्यों होती गयी और क्यों वे विलुप्ति की कगार पर पहुंच गये? इन खेलों को कैसे पुनर्जीवित किया जाये और उन्हें प्रासंगिक बनाया जाए। यह दोनों संस्थानों का सबसे महत्वपूर्ण प्रयास होगा।
वन डिस्ट्रिक्ट, वन स्पोर्ट्स के लिए राजस्थान के सभी जिलों के लिए खेल की संभावनाओं पर अध्ययन किया जाना, आदर्श खेल ग्राम विकसित करना,
अवसाद जैसी गंभीर मानसिक बीमारियों को दूर करने के लिए स्पोर्ट्स थैरेपी का उपयोग करना है। बता दें कि इन विश्वविद्यालयों के क्षेत्रान्तर्गत कुल आठ जिले उदयपुर, भीलवाड़ा, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़ ़, राजसमन्द, सिरोही, बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़ के विभिन्न कॉलेजों में अध्ययनरत छात्र- छात्रायें उक्त एमओयू से लाभान्वित होंगे।