चर्चा-ए-आमस्लाइडर

राहुल गांधी गद्दार हैं तो गिरफ्तार करो ?

  • देश में सैकड़ों गद्दार नेता घूम रहे हैं तो सरकार क्या कर रही है
  • जो हम विदेशों को बताना चाहते हैं वो देश से क्यों छुपा रहे हैं
  • संसद का विशेष सत्र बुलाने में हर्ज ही क्या है

कमल सेखरी
भारत में पिछले एक माह से आपरेशन सिंदूर के नाम से पाकिस्तान के साथ छिड़ा छदम युद्ध गर्म चर्चा का विषय बना हुआ है। पहलगाम में हुए नरसंहार से लेकर आजतक इस आपरेशन सिंदूर ने इतनी बार करवटें बदली हैं कि अब लगने लगा है कि पहलगाम के नरसंहार और आपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान पर किये गये हमले और उसके बाद चल रही चर्चाएं इस पूरे प्रकरण को किस दिशा में ले जाएगा और हम किस स्तर तक गिरकर इस पर राजनीति करते रहेंगे यह देश के लिए अब एक गंभीर सोच का विषय बन गया है। बीते कल कांग्रेस के नेता और लोकसभा में विपक्ष के लीडर राहुल गांधी ने इस कड़ी में एक और विवादित बयान जोड़ दिया। राहुल गांधी ने कहा कि देश जानना चाहता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप के आगे समर्पण क्यों किया, उनके लंबे बयान में जो भाजपा को सबसे अधिक बुरी लगने वाली बात थी वो ये कि राहुÞल गांधी ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दी नरेन्द्र करो सरेंडर और प्रधानमंत्री ने तुरंत सरेंडर कर दिया। उन्होंने ये भी कहा कि ऐसा ये आजादी से पहले अंग्रेजों के साथ भी कर चुके हैं। ब्रिटिश हुकुमत को भी सरेंडर पत्र लिख लिखकर जनसंघ और आरएसएस के नेताओं ने अपनी जानें बचाई हैं। भाजपा ने भी कई मिसालेें देते हुए कांग्रेस को यह कहकर कोसा कि वो भी कई बार अलग-अलग मौकों पर सरेंडर कर चुके हैं। अब मामला यह नहीं है कि कौन किसको क्या कह रहा है। कोई दिन ऐसा नहीं बीत रहा जब विपक्षी दल आपरेशन सिंदूर को लेकर कई तरह के गंभीर प्रश्न ना खड़े कर रहे हों और भाजपा के बड़े नेता इन प्रश्न खड़े करने वालों को गददार ना कह रहे हों। अगर पिछले एक महीने के सारे आरोप-प्रत्यारोप एक साथ जोड़ लिये जाएं और उससे पहले भी विपक्षी दलों और भाजपा के बीच बयानबाजी की जो गुत्थम गुत्था चलती आ रही है उसका आंकलन करने से यही निष्कर्ष निकलता है कि भाजपा जैसी निकम्मी सरकार आज तक नहीं आई और कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों से जुड़े अनगिनत नेता देश के सबसे बड़े गद्दार हैं। भाजपा ने अब तक जो आरोप लगाए उसके मुताबिक देश में सौ से अधिक विपक्षी नेता देश के गद्दार हैं और उनमें से 70 फीसदी कांग्रेसी नेता देशद्रोही हैं। अब जब इतनी बड़ी संख्या में देश के गद्दार और देशद्रोही देश में खुलेआम घूम रहे हैं और हमारी सरकार उन्हें गिरफ्तार करना तो दूर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही तो ऐसे में इसे सरकार की कमजोरी नहीं माना जाएगा तो और क्या माना जाएगा। जब देश में ही सैकड़ों की संख्या में देश के गददार और देशद्रोही खुलेआम घूम रहे हैं तो हम सीमा पार पाकिस्तान जाकर हमारे अपने देश के गददारों और देशद्रोहियों को निशाने लगाकर मार रहे हैं लेकिन देश के अंदर के गददारों और देशद्रोहियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। अब विपक्ष के सभी दलों ने अलग-अलग लिखकर केन्द्र सरकार से अनुरोध किया है कि आपरेशन सिंदूर को लेकर पाकिस्तान पर किये गये हमले और उसके बाद हुए सीज फायर को लेकर देश के 140 करोड़ देशवासियों को हम एक दिन का विशेष संसद का सत्र बुलाकर उन्हें वास्तविकता से क्यों नहीं अवगत करा देते जबकि उसी वास्तविकता को बताने के लिए हम अपने सांसदों के सात प्रतिनिधिमंडल बनाकर कई देशों में जाकर कुछ हजार लोगों को वह सबकुछ बताना चाहते हैं जो हम अपने देश के 140 करोड़ नागरिकों से छुपाना चाहते हैं। जब तक हम संसद का विशेष सत्र बुलाकर खुली बहस नहीं कराएंगे तब तक आपरेशन सिंदूर पर जो संशय बन रहा है वो और अधिक गहराता चला जाएगा। लिहाजा हमें देश में छाये संशय के इन बादलों को छांटने के लिए संसद का एक विशेष सत्र तुरंत बुलाना चाहिए ताकि देश के सभी नागरिकों को पता चल सके कि हमारी सेना ने शौर्य का क्या काम किया है और हमने कैसे पाकिस्तान का मुंह तोड़कर उसके घुटने टिकाए हैं।

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