- व्यवहार परिवर्तन को अनदेखा न करें, समझने का प्रयास करें
- विश्व आत्महत्या निषेध दिवस पर जिला अस्पताल में हुई गोष्ठी
गाजियाबाद। मन में नकारात्मक विचार आएं, मन उदास रहने लगे, किसी से बात करने का मन न करे और छोटी-छोटी बातों पर ज्यादा गुस्सा आने लगे तो चिकित्सक से संपर्क करें। व्यवहार परिवर्तन को अनदेखा करना कई बार बड़ी मुश्किल में डाल सकता है। कई बार यह आत्मघाती भी हो सकता है। चिकित्कीय परामर्श, काउंसलिंग और दवा के जरिए इस मुश्किल से निकला जा सकता है। ऐसा मानसिक बीमारी के कारण होता है, जो किसी को भी हो सकती है। मानसिक बीमारी को छिपाएं नहीं, बल्कि जितनी जल्दी संभव हो, उपचार शुरू कराएं। यह बातें जिला एमएमजी अस्पताल में विश्व आत्महत्या निषेध दिवस के मौके पर आयोजित गोष्ठी के दौरान मानसिक रोग प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी डा. आरके गुप्ता ने कहीं।
जिला मानसिक रोग प्रकोष्ठ के साइकेट्रिस्ट कंसलटेंट डा. साकेतनाथ तिवारी ने कहा जब भी कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है तो उससे पहले वह कई ऐसे संकेत देता है जो यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि उस व्यक्ति को चिकित्सकीय मदद की जरूरत है। बस इस बात को पहचानने की समझ होना जरूरी है। इसी उद्देश्य से मानसिक रोग प्रकोष्ठ की ओर से समय-समय पर गोष्ठियां और दूसरे जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण डिप्रेशन है। डिप्रेशन के शुरूआती संकेत उस शख्स के व्यवहार परिवर्तन के रूप में सामने आते हैं। मन उदास रहने लगता है। ऐसे में पीड़ित के साथ सहृदयता से पेश आएं। उसकी मन: स्थिति को समझने का प्रयास करें।
डा. तिवारी ने कहा, मजाक में भी यदि कोई यह कहे कि मरने का मन करता है, ?जीवन में कुछ नहीं रखा, तो समझ लें उस व्यक्ति को मदद की जरूरत है। उसे कमजोर होने का ताना कतई न दें। उम्मीद खत्म होने की स्थिति में ही कोई व्यक्ति आत्मघाती कदम उठाता है। इसलिए जितना संभव हो, पीड़ित को सुनें और समझने का प्रयास करें। उसके विचारों को वेंटीलेट करने का प्रयास करें। फिर भी व्यवहार में सुधार न हो तो समझ लें कि उसे मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल की जरूरत है। मनोचिकित्सक को दिखाएं। जिला एमएमजी अस्पताल में हर सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को मेंटल हेल्थ ओपीडी होती है। इसके अलावा स्क्रीनिंग और काउंसलिंग की भी पूरी सुविधा उपलब्ध है। गोष्ठी में साइकेट्रिस्ट डा. एके विश्वकर्मा और डा. चंदा यादव ने भी अपनी बात रखी।
बच्चा ज्यादा गुस्सा करता है तो स्क्रीनिंग कराएं
आजकल छोटे-छोटे बच्चे भी आत्मघाती कदम उठा रहे हैं, इसलिए बच्चों के साथ बड़ा संयमित व्यवहार रखें और उनसे मित्रवत व्यवहार करें। कोई बच्चा यदि ज्यादा गुस्सा करता है, गुस्से में आकर खुद को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करता है तो ऐसे बच्चे को चिकित्सकीय परामर्श की जरूरत होती है। जिला मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ में ऐसे बच्चों की स्क्रीनिंग की जाती है और जरूरत होने पर काउंसलिंग और उपचार भी दिया जाता है।