- अगस्त तक जनपद में 664 बच्चे ही बचे थे सैम-मैम श्रेणी में
- आज से एक बार फिर शुरू हुआ सैम-मैम बच्चों का चिन्हांकन
गाजियाबाद। इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट स्कीम (आईसीडीएस) के प्रयास रंग ला रहे हैं। गत जून माह के दौरान जनपद में छह वर्ष तक के कुल 2649 बच्चे सैम (सीवियर एक्यूट मालन्यूट्रीशियन) और मैम (मॉडरेट एक्यूट मालन्यूट्रीशियन) श्रेणी में थे। पोषाहार और चिकित्सकीय प्रबंधन के सहारे अगस्त माह तक इनमें से 1985 बच्चे सुपोषित हो गए। जनपद में केवल 664 बच्चे ही अब सैम-मैम श्रेणी में रह गए हैं । प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी रजनीश पांडेय ने बताया इन्हें भी चिकित्सकीय प्रबंधन और पोषाहार के जरिए सुपोषित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय पोषण माह (सितंबर) के दौरान निरंतर आंगनबाड़ी केंद्रों और घर-घर जाकर पोषण के प्रति जागरूकता परक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, इसके अलावा 16 सितंबर से पोषण पंचायतों का आयोजन कर पोषाहार वितरण किया जा रहा है। यह कार्यक्रम 23 सितंबर तक चला । आज से एक बार फिर सैम-मैम बच्चों का चिन्हांकन शुरू हुआ है , जो 30 सितंबर तक चलेगा। पुष्टाहार वितरण के साथ ही सैम-मैम बच्चों की जल्दी पहचान के लिए सामुदायिक स्तर पर संवेदीकरण किया जाएगा।
प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि जनपद में जून माह के दौरान छह वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग की गई थी। स्क्रीनिंग के दौरान सैम (अति-कुपोषित) और मैम (कुपोषित) श्रेणी में कुल 2649 बच्चे चिन्हित किए गए थे। इन बच्चों को पुष्टाहार उपलब्ध कराने के साथ ही माता-पिता की काउंसलिंग की गई और चिकित्सकीय सहायता भी उपलब्ध कराई गई। समेकित बाल विकास योजना के प्रयास से अब केवल 664 बच्चे सैम-मैम श्रेणी में रह गए हैं। उन्हें लगातार पुष्टाहार के जरिए सुपोषित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। रजापुर बाल विकास परियोजना के अंतर्गत कुल 624, भोजपुर में 79, शहर में 530, मुरादनगर में 482 और लोनी बाल विकास परियोजना के अंतर्गत कुल 270 बच्चे सुपोषित हुए हैं। यह एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं की ओर से लगातार किए गए प्रयासों के बाद ही संभव हो सका है।