- मुख्यमंत्री आरोग्य मेला प्रत्येक रविवार को प्रदेश के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर आयोजित किये जाएंगे
- नि:शुल्क चिकित्सकीय परामर्श, नि:शुल्क जांच एवं दवाओं द्वारा आरोग्यता का उपहार प्राप्त होगा
- उत्तम आरोग्यता से ही स्वस्थ समाज का सृजन होता है
- देश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का है लक्ष्य
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के जंगल कौडिया ब्लॉक के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर मुख्यमंत्री आरोग्य मेले का शुभारम्भ किया। उन्होंने कहा कि मेला प्रत्येक रविवार को प्रदेश के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर आयोजित किया जाएगा। आरोग्य मेला से सभी लोगों को बिना भेदभाव के नि:शुल्क चिकित्सकीय परामर्श, नि:शुल्क जांच एवं दवाओं के माध्यम से आरोग्यता का उपहार प्राप्त होगा।
वर्ष 2020 में ही आरोग्य मेलों का आयोजन प्रारम्भ किया गया था। राज्य सरकार द्वारा पुन: आरोग्य मेलों का शुभारम्भ किया जा रहा है। जिन लोगों के स्वास्थ्य कार्ड बनने से रह गए हैं, वे बनवाकर इसका लाभ उठाएं।
प्रदेश की सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में संसाधन सम्पन्न 100 बेड के उच्चीकृत अस्पताल बनाए जाएंगे। साथ ही, प्रदेश के प्रत्येक विकास खण्ड क्षेत्र में 25 से 30 बेड के बेहतरीन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लोगों की सेवा हेतु उपलब्ध कराने की कार्यवाही को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में लोगों की चिकित्सा सुविधा के लिए गोरखपुर में एम्स भी क्रियाशील हो गया है। जनपद देवरिया, सिद्धार्थनगर व बस्ती में नए मेडिकल कॉलेज सेवाएं दे रहे हैं। जनपद कुशीनगर में मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। जनपद महराजगंज में मेडिकल कॉलेज बनाने की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है।
मुख्यमंत्री ने संचारी रोगों की रोकथाम में अंतर्विभागीय समन्वय एवं सामूहिकता की ताकत का उल्लेख करते हुए कहा कि इसी ताकत की दम पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश कोरोना नियंत्रण का बेहतरीन मॉडल देने में सफल रहा है। वर्ष 1977 से लेकर वर्ष 2017 तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में पचास हजार मासूमों को असमय काल कवलित करने वाली इंसेफेलाइटिस पर रोक लगाने का कार्य किया गया है। 40 वर्षांे में इंसेफेलाइटिस को समाप्त नहीं किया जा सका था, इसके इलाज के लिए संसाधन तक नहीं थे। केन्द्र व राज्य सरकार ने मिलकर सिर्फ चार साल में इंसेफेलाइटिस को समूल उखाड़ने में सफलता हासिल की है। मस्तिष्क ज्वर अब नाममात्र का रह गया है। सतर्कता और सामूहिक प्रयासों से अगले एक-दो वर्षों में इंसेफेलाइटिस रोग हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने लोगों से संचारी रोग नियंत्रण अभियान, टीबी व फाइलेरिया मुक्ति अभियान से भी जुड़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मानना है कि बचाव ही बीमारियों से दूर रहने का सर्वोत्तम उपाय है। यदि बीमारी हो भी गई तो उसे छुपाने की बजाय समय पर इलाज कराने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि प्रधानमंत्री ने देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए वर्ष 2025 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है। जनसामान्य टीबी मरीजों की पहचान और उनके इलाज में अपना योगदान दे। उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों को सरकार की तरफ से प्रति माह 500 रुपये पोषण भत्ता भी दिया जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक संवेदनशील सरकार कैसे कार्य करती है, कोरोना काल में प्रदेश में सभी लोगों ने देखा है। महामारी के दौरान कोरोना वॉरियर्स के सेवा भाव व टीमवर्क की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अब तक कोरोना वैक्सीन की 30 करोड़ से अधिक डोज उपलब्ध करायी जा चुकी है। नि:शुल्क जांच, इलाज एवं वैक्सीन के साथ ही डबल इंजन की सरकार प्रत्येक जरूरतमंद को प्रतिमाह डबल राशन उपलब्ध करा रही है। यह सभी कार्य निरंतर आगे बढ़ रहे हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न स्टॉलों का अवलोकन किया एवं शिशुओं का अन्नप्राशन संस्कार भी किया। उन्होंने आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों को गोल्डन कार्ड, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की लाभार्थियों को चेक प्रदान करने के साथ ही फाइलेरिया एवं टीबी के रोगियों को किट भी वितरित की।