-दुर्बलता ही कायरता को जन्म देती है
-अवैध घुसपैठ को रोकना होगा
-मुस्लिम आबादी में हो रही है तेजी से वृद्धि
नई दिल्ली। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि दुर्बलता ही कायरता को जन्म देती है। बल, शील, ज्ञान व संगठित समाज को ही दुनिया सुनती और पहचानती है। मुस्लिम आबादी का घनत्व बढ़ना घुसपैठ है। घुसपैठियों को रोकने की दिशा में कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। एनआरसी के जरिए नेशनल बुक में नागरिकों के नाम दर्ज करने चाहिएं। उन्होंने कहा कि कश्मीर में धारा 370 हटने से वहां अमन शांति कायम हो रही है, लोगों में डर खत्म हो रहा है लेकिन आतंकियों ने कश्मीर की जनता का मनोबल गिराने के लिए नब्बे के दशक की तरह टारगेट किलिंग करनी शुरू कर दी है, इनसे और भी सख्ती से निपटने की जरूरत है।
वे नागपुर में वियजदशमी व आरएसएस के 96वें स्थापना दिवस पर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हिंदुओं के मंदिरों की जमीनों को हड़पा जा रहा है। इसलिए यह जरूरी है कि हिंदू मंदिरों का संचालन हिंदू भक्तों के ही हाथों में रहे तथा मंदिरों की सम्पत्ति का उपयोग हिंदू समाज की सेवा में ही हो। इसके लिए हमें सब प्रकार के भय से मुक्त होना होगा। दुर्बलता ही कायरता को जन्म देती है। बल, शील, ज्ञान तथा संगठित समाज को ही दुनिया सुनती है। सत्य तथा शान्ति भी शक्ति के ही आधार पर चलती है।
मोहन भागवत ने कहा कि एकता में बड़ी समस्या जातिगत विषमता की रही है, जिसे खत्म करने के लिए तमाम प्रयास हुए हैं। उन्होंने गुरु तेग बहादुर को भी याद किया। उन्होंने कहा कि उनका बलिदान इस देश की अखंडता और एकता को बनाए रखने के लिए ही था। उस समय देश में यह अभियान चल रहा था कि अपनी पूजा बदलो या तो मरो। तब कश्मीर के लोगों ने गुरु तेग बहादुर से गुहार लगाई। यह सुनकर गुरु तेग बहादुर दिल्ली चले गए और उनका बलिदान दिया। उन्होंने भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए अपना सिर दिया, लेकिन देश का सार नहीं दिया। इसलिए वह हिंद की चादर कहलाए। वह इस देश की आकाशगंगा के सूर्य जैसे हैं।
संघ प्रमुख ने कहा कि नई पीढ़ी में नशीले पदार्थ खाने की आदत बढ़ रही है। उच्च से निम्न स्तर तक व्यसन है। इसलिए ड्रग्स से देश को मुक्त कराने का प्रयास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बाद आॅनलाइन शिक्षा बढ़ी है। बच्चों के हाथ में मोबाइल हैं। ऐसे में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण नहीं रह गया है।
कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद आम लोगों को फायदा हुआ है। वहां आतंकी अपने डर के कारण टिके हुए थे, लेकिन 370 हटने के बाद वह डर खत्म हो गया है। इसलिए आतंकियों ने मनोबल गिराने के लिए फिर से 90 के दशक की टारगेट किलिंग शुरू की है, लेकिन अब लोग डरने वाले नहीं हैं। प्रशासन को चुस्ती से इसका बंदोबस्त करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि सीमावर्ती राज्यों में आबादी असंतुलित हो गई है। इसलिए जनसंख्या नीति पर विचार होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1951 से 2011 के बीच जससंख्या वृद्धि दर में भारी अंतर के कारण देश की जनसंख्या में जहां भारत में उत्पन्न मत पंथों के अनुयायियों का अनुपात 88 प्रतिशत से घटकर 83.8 प्रतिशत रह गया है। वहीं मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 9.8 से बढ़कर 14.23 प्रतिशत हो गया है। इसलिए घुसपैठ पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए। सरकार को जनसंख्या नीति बनानी चाहिए और सभी वर्ग के लोगों के लिए लागू होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एनआरसी से घुसपैठियों की पहचान होनी चाहिए।