लखनऊ। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने प्रदेश में जेई (जैपेनीज इन्सेफेलाइटिस) व एईएस (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिन्ड्रोम) की स्थिति की वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से समीक्षा की। बैठक में पांंच मण्डलों-गोरखपुर, बस्ती, लखनऊ, अयोध्या एवं देवीपाटन के मण्डालायुक्तों एवं जिलाधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। अपने संबोधन में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि जेई व एईएस वेक्टर जनित रोग हैं। बारिश के मौसम में वेक्टर जनित बीमारियों का खतरा सबसे अधिक होता है। इसलिये इनकी रोकथाम के लिए विशेष स्वच्छता अभियान चलाया जाये। शुद्ध पेयजल एवं ड्रेनेज की व्यवस्था हो। कालाजार, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि संचारी रोगों के सम्बन्ध में नियंत्रण एवं बचाव के साथ-साथ जागरूकता अभियान भी चलाया जाये। लोगों के मध्य रोगों के प्रति जनजागरूकता अभियान हेतु संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान चलाया गया, जिससे जेई एवं एईएस से होने वाली मृत्यु दर में कमी आयी है। आंगनबाड़ी तथा आशा वर्करों की मदद से बच्चों एवं महिलाओं को इन रोगों के सम्बन्ध में जागरूक किया जाये।
उन्होंने कहा कि जेई व एईएस की स्थिति से निपटने के लिये प्रभावित जनपदों में ब्लॉक/विकास खण्ड स्तर पर इन्सेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटरों (ईटीसी) की स्थापना की गई है, ताकि जनसामान्य को अपने निवास के पास ही समुचित उपचार सुविधायें प्राप्त हो सकें। इसका व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाये। उन्होंने सभी मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को अपने भ्रमण के समय इन ईटीसी का भी निरीक्षण कर जेई व एईएस के प्रबन्धन का आंकलन करने के भी निर्देश दिए।
इससे पूर्व, अपर मुख्य सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अमित मोहन प्रसाद द्वारा प्रदेश में जेई व एईएस की स्थिति पर एक प्रस्तुतिकरण किया गया। उन्होंने बताया कि प्रदेश के मुख्यत: 38 जनपद जेई से प्रभावित हैं, जिनमें से 18 जनपदों को जेई के लिये हाई-रिस्क माना गया है। प्रदेश में विगत 5 वर्षों में जेई व एईएस के प्रबन्धन हेतु किये गये अवसंरचना निर्माण व प्रयासों के फलस्वरूप प्रदेश में हाई-रिस्क ग्रामों की संख्या वर्ष 2018 में 617 से घटकर वर्ष 2022 में मात्र 208 रह गई है। इन प्रयासों के कारण ही उत्तर प्रदेश में एईएस के रोगियों की संख्या वर्ष 2017 में 4,724 से घटकर वर्ष 2021 में 1,701 व एईएस से होने वाली मृत्यु की संख्या वर्ष 2017 में 655 से घटकर वर्ष 2021 में 58 रह गई है। इस प्रकार एईएस से होने वाली मृत्यु की संख्या में 92 प्रतिशत की कमी आई है।
इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश में जेई के रोगियों की संख्या वर्ष 2017 में 693 से घटकर वर्ष 2021 में 153 व जे0ई0 से होने वाली मृत्यु की संख्या वर्ष 2017 में 93 से घटकर वर्ष 2021 में 5 रह गई है। इस प्रकार जेई से होने वाली मृत्यु की संख्या में 95 प्रतिशत की कमी आई है।
प्रदेश में जेई व एईएस की स्थिति से निपटने के लिये प्रभावित जनपदों में ब्लॉक/विकास खण्ड स्तर पर इन्सेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटरों (ईटीसी) की स्थापना की गई है, ताकि जनसामान्य को अपने निवास के पास ही समुचित उपचार सुविधायें प्राप्त हो सकें। वर्ष 2021 में इन ईटीसी के माध्यम से 72.6 प्रतिशत मरीजों का उपचार किया गया एवं गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज पर आने की आवश्यकता में विगत पांच वर्षों में 40 प्रतिशत की कमी आई है। देवीपाटन और लखनऊ मण्डल के जनपदों में भी विगत 2 वर्षों में विकास खण्ड स्तर पर ईटीसी की स्थापना की गई है, जिनके माध्यम से जेई एवं एईएस का उपचार विकास खण्ड स्तर पर ही उपलब्ध कराया जा रहा है।