प्रथम स्वतंत्रता संग्राम1857 की क्रांति के शहीदों को दी भावभीनी श्रद्धांजलि

गाजियाबाद। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 शहीद स्मारक समिति द्वारा आयोजित हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 30 मई 2025 को शहीद स्थल मेट्रो स्टेशन के पास श्रद्धांजलि भावांजलि पुष्पांजलि की गई। समिति के अध्यक्ष पंडित रामआसरे शर्मा ने बताया कि हिंडन नदी का ऐतिहासिक युद्ध, जब क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों का घमंड चकनाचूर किया था। 31 मई का दिन भारतीय इतिहास में सदा याद किया जाता रहेगा क्योंकि 30 व 31 मई 1857 को ब्रिटिशकालीन भारत में दुनिया की सबसे प्रशिक्षित अंग्रेजी फौज व भारत के क्रान्तिकारियों की उत्साही सेना का मुकाबला गाजियाबाद में बहती हिंडन नदी के तट पर हुआ था। संस्था के मीडिया प्रभारी एवं विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के पीठाधीश्वर ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भारतीय इतिहास का एक ऐसा दिव्य तथा भव्य अध्याय है, जिसमें धर्म, वर्ग, जातियों की सभी दीवारें ध्वस्त हो जाती हैं और जनसमूह के रूप में भारत की आत्मा मुखर होती है। अंग्रेजी तथा वामपंथी इतिहासकार भले ही इस महासमर को गदर या विद्रोह की संज्ञा दें, परंतु यह भारतीय आत्मा की आवाज थी। उस वक्त की पत्रकारिता ने भी आजादी के पहले समर में क्रांति का बीजारोपण किया। इस अवसर पर संस्था के महामंत्री पी एन गर्ग, वरिष्ठ समाजसेवी संदीप त्यागी रसम, छोटेलाल कन्नोजिया, सतपाल सिंह तेवतिया, संतोष दीक्षित, शरीफ मियां, भिखारी लाल, डॉ. शीला रानी, डॉक्टर संजय सिंह, डॉक्टर दिलीप कुमार, डॉ. एसके मिश्रा, एमएल बड़वार, ए खालिद, डा. मिलन मंडल, डॉ. वसीम, डॉ. एस के सिंकदर आदि मौजूद रहे।