नई दिल्ली। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन गुरू वंदना के साथ कुछ ऐसे उपाय भी हैं जिनको अपनाने से आपके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाएंगे और जीवन में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होगी।
भारतीय परंपरा और हिंदू धर्म में गुरू का स्थान ईश्वर से भी ऊंचा माना गया है क्योकिं गुरू के ज्ञान के माध्यम से ही हम ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए हिंदू धर्म में गुरू की पूजा के दिन का विधान है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। इस वर्ष गुरू पूर्णिमा 24 जुलाई दिन शनिवार को पड़ रही है। इस दिन गुरू वंदना के साथ कुछ ऐसे उपाय भी हैं, जिनको अपनाने से आपके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाएंगे और जीवन में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होगी।
गुरु पूर्णिमा के दिन बुजुर्ग व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए। इस दिन मांस-मदिरा आदि तामसिक चीजों का सेवन न करें। ऐसा करने से गुरू की कृपा प्राप्त होने में समस्या आने लगती है।
ज्ञान की वृद्धि के लिए इन मंत्रों का जाप करना चाहिए
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
ॐ गुं गुरवे नम:।
ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
व्यास जी को प्रथम गुरु की भी उपाधि दी जाती है क्योंकि गुरु व्यास ने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। इसके उपलक्ष में गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा को भारत में बहुत ही श्रद्धा-भाव से मनाया जाता है। वैसे तो प्रत्येक पूर्णिमा पुण्य फलदायी होती है। परंतु हिंदी पंचांग का चौथा माह आषाढ़, जिसके पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसी दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। व्यास जी को प्रथम गुरु की भी उपाधि दी जाती है क्योंकि गुरु व्यास ने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व इस वजह से मनाया जाता है। इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आइये जानते हैं पूजा-विधि और गुरु पूर्णिमा के महत्व के बारे में।
प्रातःकाल सुबह-सुबह घर की सफाई करके स्नानादि से निपटकर पूजा का संकल्प लें। किसी साफ सुथरे जगह पर सफेद वस्त्र बिछाकर उसपर व्यास-पीठ का निर्माण करें। गुरु की प्रतिमा स्थापित करने के बाद उन्हें चंदन, रोली, पुष्प, फल और प्रसाद आदि अर्पित करें। इसके बाद व्यासजी, शुक्रदेवजी, शंकराचार्यजी आदि गुरुओं को याद करके उनका आवाहन करना चाहिए। इसके बाद ‘गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
मालूम हो कि भारतीय सभ्यता में गुरुओं का विशेष महत्व है। भगवान की प्राप्ति का मार्ग गुरु के बताए मार्ग से ही संभव होता है क्योंकि एक गुरु ही है, जो अपने शिष्य को गलत मार्ग पर जाने से रोकते हैं और सही मार्ग पर जाने के लिए प्रेरित करते हैं। इस वजह से गुरुओं के सम्मान में आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।
गुरू पूर्णिमा का दिन गुरू और छात्रों का दिन होता है। इस दिन ऐसे छात्र जिनका पढ़ने में मन नहीं लगता है, उनको गुरु पूर्णिमा के दिन गीता का पाठ करना चाहिए और गाय की सेवा करनी चाहिए। ऐसा करने से अध्ययन में आ रही समस्या समाप्त हो जाएगी।
गुरु पूर्णिमा के दिन पर पीपल के पेड़ की जड़ में मीठा जल डालना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों के लिए को धन-धान्य से परिपूर्ण कर देती हैं।
दाम्पत्य जीवन में समस्या आ रही हो तो गुरु पूर्णिमा को पति-पत्नी मिलकर चंद्रमा का दर्शन करें और दूध का अर्घ्य प्रदान करें। ऐसा करने से उनके दाम्पत्य जीवन में आने वाली समस्या दूर होती है।
गुरु पूर्णिमा के दिन सांय काल में तुलसी के पेड़ के पास घी का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।