- नगरों को तीन श्रेणियों में बांटकर अलग-अलग रेट निर्धारित
- अधिकतम 18 हजार रुपए प्रतिदिन वसूल सकेंगे अस्पताल
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश शासन ने निजी कोविड चिकित्सालयों की मनमानी रोकने के लिए शहर और चिकित्सालय की श्रेणी के मुताबिक इलाज के रेट निर्धारित कर दिए हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने बताया कि अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद की ओर से निजी कोविड चिकित्सालयों के लिए रेट निर्धारण वाला शासनादेश भेजा गया है। शासनादेश के मुताबिक गाजियाबाद जनपद के नगरों को ए श्रेणी के शहरों में शुमार किया गया है। जनपद में संचालित निजी कोविड अस्पताल ए श्रेणी के लिए निर्धारित रेट के हिसाब से ही उपचार का शुल्क वसूलेंगे और यदि कोई शिकायत मिलती है तो संबंधित अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शासनादेश की प्रति जिलाधिकारियों को भी भेजी गई है।
सीएमओ डा. भवतोष ने बताया शासनादेश के मुताबिक ए श्रेणी के शहरों में नेशनल एक्रिडिएशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल (एनएबीएच) से मान्यता प्राप्त अस्पताल कोविड मरीजों को सपोर्टिव केयर और आॅक्सीजन और सहयोगी सुविधा के साथ आईसोलेशन बेड उपलब्ध कराने के लिए एक दिन के अधिकतम 10 हजार रुपए वसूल पाएंगे। इसके साथ ही शासन ने गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू बेड के लिए अधिकतम 15 हजार रुपए प्रतिदिन और वेंटिलेटर सुविधा के साथ आईसीयू बेड के लिए अधिकतम 18 हजार रुपए प्रतिदिन निर्धारित किए हैं। इसी के साथ शासन ने एनएबीएच से गैर मान्यता प्राप्त अस्पतालों के लिए भी रेट तय किए हैं। ए श्रेणी वाले शहरों में ऐसे अस्पताल आॅक्सीजन और सहयोगी सुविधा के साथ आईसोलेशन बेड के लिए अधिकतम आठ हजार, आईसीयू बेड के लिए 13 हजार और वेंटिलेटर सुविधा के साथ आईसीयू बेड के लिए अधिकतम 15 हजार रुपए प्रतिदिन वसूल सकेंगे।
शासनादेश में कहा गया है कि बी और सी श्रेणी के शहरों में स्थित सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल उक्त दरों का क्रमश: 80 और 60 प्रतिशत शुल्क वसूल सकेंगे। शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि निर्धारित कोविड अस्प्तालों हेतु यह शुल्क एक पैकेज है। इस पैकेज में कोविड केयर प्रोटोकॉल के अनुसार उपचार प्रदान किए जाने के लिए बेड, भोजन, नर्सिग केयर, मॉनिटरिंग और इमेजिंग सहित अन्य आवश्यक जांच, डॉक्टर की विजिट आदि सुविधाएं सम्मिलित हैं। इतना ही नहीं को-मोर्बिड रोगियों का उपचार तथा अल्प अवधि की हीमो डायलिसिस की सुविधा भी पैकेज में शामिल है। यह दर निर्धारण बच्चों के उपचार पर भी लागू है। रेमडेसिविर, टोसिलीजूमाव व विभाग द्वारा समय-समय पर घोषित की गई अन्य दवाएं इस पैकेज में सम्मिलित नहीं हैं।
अस्पताल के आयुष्मान भारत योजना से आबद्ध होने की दशा में सीजेरियन प्रसव के व्यय की प्रतिपूर्ति आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों के संबंध में अस्पताल से हो सकेगी। जो अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत आबद्ध नहीं है, वह आयुष्मान की दर पर कोविड मरीजों से शुल्क वसूल सकेंगे।