लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पर्वों और त्योहारों के मददेनजर बेहतर कानून व्यवस्था तथा श्रद्धालुओं की सुविधाओं के सम्बन्ध में की जा रही तैयारियों की पुलिस कमिश्नरों, मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों/पुलिस अधीक्षकों के साथ अपने सरकारी आवास पर वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से समीक्षा की। उन्होंने व्यापक जनहित में अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। समीक्षा बैठक में शासन के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि 4 जुलाई से पवित्र श्रावण मास का प्रारम्भ हो रहा है। इस वर्ष अधिमास के कारण श्रावण मास दो माह की अवधि का हो रहा है। इस अवधि में श्रावणी शिवरात्रि, नागपंचमी और रक्षाबन्धन का पर्व मनाया जाएगा। श्रावण मास में परम्परागत कांवड़ यात्रा निकलेगी। इसमें सोमवार पूजन का भी विशेष महत्व है। इससे पूर्व 29 जून को बकरीद मनायी जाएगी। स्पष्ट है कि कानून-व्यवस्था के दृष्टिगत यह समय संवेदनशील है। अत: हमें सतत सतर्क-सावधान रहना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत दिनों रमजान माह और ईद के अवसर पर धार्मिक कार्यों से यातायात प्रभावित नहीं हुआ। इस प्रयास की पूरे देश में सराहना हुई है। इस बार बकरीद और मुहर्रम के मौके पर भी हमें यही व्यवस्था लागू रखनी होगी। स्थानीय प्रशासन द्वारा इस सम्बन्ध में सम्बन्धित धर्मगुरुओं/बुद्धिजीवियों से संवाद बना लिया जाए।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि बकरीद पर कुर्बानी के लिए स्थान का चिन्हांकन पहले से ही होना चाहिए। विवादित जगहों पर कुर्बानी नहीं होनी चाहिए। पूर्व में तय और चिन्हित स्थान के अतिरिक्त कहीं और कुर्बानी न हो। प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित करें कि कहीं भी प्रतिबन्धित पशु की कुर्बानी न हो। हर जिले में कुर्बानी के उपरान्त अपशिष्ट के व्यवस्थित निस्तारण की प्रभावी कार्ययोजना होनी चाहिए। अन्यथा की स्थिति में यह अपशिष्ट बीमारी का कारक बनते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर एक पर्व शांति और सौहार्द के बीच सम्पन्न हों, इसके लिए स्थानीय जरूरतों को देखते हुए सभी जरूरी प्रयास किए जाएं। पिछले अनुभवों के आधार पर गोताखोरों की तैनाती, कांवड़ यात्रा मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। कांवड़ शिविर स्थापित किए जाने के स्थान पहले से चिन्हित हों, ताकि आवागमन बाधित न हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्व-त्योहार में प्रशासन द्वारा आमजन को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। धार्मिक परम्परा/आस्था को सम्मान दें, लेकिन परम्परा के विरुद्ध कोई कार्य न हो। आयोजकों को कार्यक्रम की अनुमति दें, लेकिन यह सुनिश्चित हो कि हर कोई नियम-कानून का पालन करेगा।
मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि धार्मिक यात्राओं/जुलूसों में अस्त्र-शस्त्र का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए। ऐसी कोई घटना न हो, जिससे दूसरे धर्म के लोगों की भावनाएं आहत हों। शरारती तत्व दूसरे सम्प्रदाय के लोगों को अनावश्यक उत्तेजित करने की कुत्सित कोशिश कर सकते हैं, ऐसे मामलों पर नजर रखें। संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की जाए। हर दिन सायंकाल पुलिस बल फुट पेट्रोलिंग जरूर करे। पीआरवी-112 एक्टिव रहे। अराजक तत्वों के साथ पूरी कठोरता से निपटा जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण हो या कि शहरी क्षेत्र, पर्व-त्योहारों के दौरान बिजली अपूर्ति सुचारु रखी जाए। कहीं से भी अनावश्यक कटौती की शिकायत न आए। इसकी नियमित समीक्षा की जाए। कांवड़ यात्रा के मार्ग पर जर्जर बिजली के खम्भे, झूलते-लटकते बिजली के तार आदि प्रबन्धन समय से कर लिया जाए, ताकि श्रद्धालुओं को समस्या न हो, किसी प्रकार की दुर्घटना की स्थिति न आए।
मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान करते हुए कांवड़ यात्रा मार्ग पर कहीं भी खुले में मांस आदि की खरीद-बिक्री न हो। यात्रा मार्ग पर स्वच्छता-सैनिटाइजेशन की व्यवस्था रहे। स्ट्रीट लाइट की सुविधा हो। गर्मी तेज है, ऐसे में मार्ग में पीने के पानी की व्यवस्था भी कराई जाए। जहां खाद्य शिविर लगें, वहां खाद्य सामग्री गुणवत्ता की टीम जांच जरूर करे। स्वास्थ्य की आपातकालीन सेवाएं अलर्ट मोड में रहें। बरसात का मौसम प्रारम्भ हो चुका है, ऐसे में सभी जिलों में एंटी वेनम व एंटी रैबीज के इंजेक्शन की पर्याप्त उपलब्धता रहे। कांवड़ यात्रा मार्ग पर जगह-जगह हेल्थ पोस्ट स्थापित किए जाएं। परिवहन विभाग यह सुनिश्चित करे कि सड़क पर वही वाहन चलें, जो सुरक्षित हों।
विगत वर्ष श्रावण मास में लगभग एक करोड़ श्रद्धालुओं ने श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर में दर्शन-पूजन का लाभ प्राप्त किया था। हर सोमवार को 6-7 लाख लोगों ने दर्शन किया था। इस वर्ष अधिमास के कारण श्रावण मास की अवधि दो माह की है। ऐसे में श्रद्धालुओं की संख्या में और बढ़ोत्तरी सम्भावित है। श्रावण मास में पूरे देश से श्रद्धालुजन के आगमन की सम्भावना है। वाराणसी के साथ-साथ अयोध्या और सीतापुर में भी स्थानीय प्रशासन, मन्दिर प्रशासन के साथ समन्वय बनाते हुए व्यवस्थित कार्ययोजना बनाएं। प्रबन्धन ऐसा हो कि किसी भी श्रद्धालु को असुविधा न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि थाना, सर्किल, जिला, रेंज, जोन, मंडल स्तर पर तैनात वरिष्ठ अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र के धर्मगुरुओं, समाज के अन्य प्रतिष्ठित जनों के साथ संवाद बनाएं। लोगों के लिए सकारात्मक संदेश जारी कराएं। पीस कमेटी की बैठक कर लें। मीडिया का सहयोग लें, ताकि शांति और सौहार्द का माहौल बना रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कावंड़ यात्रा आस्था के उत्साह का आयोजन है। परम्परागत रूप से नृत्य, गीत, संगीत इसका हिस्सा रहे हैं। यह सुनिश्चित करें कि डीजे, गीत-संगीत आदि की आवाज निर्धारित मानकों के अनुरूप ही हो।