
गाजियाबाद। डॉ. एम. एस. परमार ने निट्रा (जो कि वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार से संबद्ध है) के महानिदेशक पद का कार्यभार ग्रहण किया। इस अवसर पर निट्रा काउंसिल आॅफ एडमिनिस्ट्रेशन के चेयरमैन विदित जैन, डिप्टी चेयरमैन संदीप होरा एवं वाइस चेयरमैन नितिन नौलखा ने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित कीं और डॉ. परमार के योगदान को वस्त्र क्षेत्र में पथ-प्रदर्शक बताया। निट्रा के समस्त अधिकारियों और कर्मचारी इस अवसर पर उपस्थित रहे और डॉ. परमार को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। वस्त्र मंत्रालय की ओर से कैबिनेट मंत्री गिरिराज सिंह ने भी डॉ. परमार को बधाई दी और कहा कि आने वाले समय में निट्रा और डॉ. परमार की अनुसंधान गतिविधियाँ वस्त्र क्षेत्र को एक नया आयाम देंगी और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। डॉ. एम. एस. परमार वस्त्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, रंगाई एवं रसायन विज्ञान तथा प्राकृतिक रेशों से उत्पाद निर्माण के क्षेत्र में एक विशिष्ट वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ हैं। वे भारत में प्रोटेक्टिव टैक्सटाइल्स पर शोध करने वाले और इसको बढ़ावा देने वाले अग्रणी शोधकर्ताओं में गिने जाते हैं। उनके शोध कार्यों की सराहना स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर चुके हैं।
उन्होंने केवल कपास ही नहीं, बल्कि जूट, सन, पटसन, मिल्कवीड (मदार), गन्ने की खोई आदि प्राकृतिक रेशों पर भी शोध कार्य किए हैं और सैकड़ों छात्रों का मार्गदर्शन किया है। उनके द्वारा लिखित पुस्तकें देशभर के वस्त्र संस्थानों और उद्योग जगत में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई हैं। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा उनकी दो पुस्तकों को सर्वश्रेष्ठ तकनीकी पुस्तक का पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है, जो डेनिम (प्राकृतिक फाइबर) और उसकी प्रसंस्करण प्रक्रिया पर आधारित हैं।
डॉ. परमार देश की कई अग्रणी संस्थाओं के सलाहकार के रूप में भी वस्त्र क्षेत्र की सेवा कर रहे हैं, जिनमें भारतीय मानक ब्यूरो, सार्क देशों के मानक संगठन ढाका बांग्लादेश, आरडीएसओ (भारतीय रेल), भारतीय सेना, अर्धसैनिक बल एवं पुलिस बल, एनबीआरआई तथा वस्त्र मंत्रालय के विभिन्न अनुसंधान नीति समूह शामिल हैं।
उन्हें कई प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें टैक्सटाइल एसोसिएशन आॅफ इंडिया का फेलो चुना जाना प्रमुख है। यह सम्मान उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल द्वारा, उस समय की कपड़ा राज्य मंत्री (केंद्र) श्रीमती दर्शना जरदोश की उपस्थिति में प्रदान किया गया। कृषक परिवार से आने वाले डॉ. परमार का शोध कार्य वस्त्र उद्योग में बहुत सराहा जाता है मिल्कवीड (मदार) पर इनका शोध किसानों के लिए बहुत ही लाभकारी होगा इससे बने वस्त्रों का उपयोग हमारे सुरक्षा बल के आलावा जनमानस भी कर पाएंगे। डॉ. परमार ने विभिन्न उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों के लिए सुरक्षा वस्त्र भी विकसित किए हैं, जो उनकी दक्षता और समाज के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक है।