- भाजपा के मजबूत किले में कहीं लग ना जाए सेंध
- गाजियाबाद को लेकर भाजपा अधिक चिंतित
- कभी भी हो सकती है उपचुनावों की घोषणा
कमल सेखरी
उत्तर प्रदेश की दस सीटों पर उपचुनावों को लेकर प्रदेश सरकार काफी चिंतित नजर आ रही थी लेकिन अब हरियाणा चुनाव के परिणाम आने के बाद प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ अब कुछ राहत सी महसूस कर रहे हैं। हरियाणा चुनाव के परिणामों में मिली भाजपा को प्रचंड जीत के बाद केन्द्र सरकार सहित पार्टी के बड़े नेताओं के हौसले सातवें आसमान पर पहुंचे नजर आ रहे हैं। अब किसी भी वक्त महाराष्टÑ, झारखंड और उत्तर प्रदेश उपचुनावों की तारीखें चुनाव आयोग घोषित कर सकता है। वर्तमान बदली स्थितियों से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इन दस सीटों पर उपचुनाव को लेकर काफी चिंतित थे और इन सभी सीटों पर एक के बाद एक धड़ाधड़ दौरे कर रहे थे, उनके इन्हीं दौरों में गाजियाबाद काफी प्रमुखता से शामिल रहा। पिछले दो महीनों के दौरान सूबे के मुखिया ने गाजियाबाद जिले के आधा दर्जन से अधिक बार दौरे किए। गाजियाबाद जो उत्तर प्रदेश का प्रवेशद्वार तो है ही साथ ही भाजपा के लिए वो प्रदेश में सबसे मजबूत किला माना जाता है। कहा जाता है कि अगर विपक्षी दल भाजपा जिले में सेंध लगा जाएं तो वो उत्तर प्रदेश की किसी भी विधानसभा सीट को आसानी से पार उतार सकते हैं। गाजियाबाद जिले का पिछले लगभग चार चुनावों से तो यही इतिहास रहा है कि यहां मेयर, सांसद और सभी सीटों के विधायक भाजपा के ही बनते आ रहे हैं। अब उपचुनाव गाजियाबाद विधानसभा सीट पर होना है जो विधायक अतुल गर्ग ने गाजियाबाद लोकसभा की सीट जीतने के बाद खाली की है। सांसद अतुल गर्ग पिछले तीन चुनावों से लगातार यहां जीत रहे हैं। गाजियाबाद विधानसभा सीट पर उन्होंने जो पिछले दो विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा उनमें पहली बार 2017 में वो लगभग दो लाख 35 हजार मतों से जीते। दूसरा विधानसभा चुनाव अतुल गर्ग पहले के मुकाबले कम अंतर से जीते और जीत का उनका यह अंतर घटकर एक 35 हजार तक का रह गया। लेकिन अब जब 2024 में उन्हें गाजियाबाद लोकसभा सीट से सांसद का चुनाव लड़ने का टिकट मिला तो वे लगभग साढ़Þे तीन लाख वोटों से जीते लेकिन इस जीत में गाजियाबाद विधानसभा सीट का अंतर और अधिक घटकर 75 हजार मतों तक का ही रह गया। हालांकि लोकसभा के इस चुनाव में भाजपा की स्थिति समूचे उत्तर प्रदेश में पहले की अपेक्षा काफी कमजोर रही लेकिन फिर भी गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र को इंडिया गठबंधन का संयुक्त प्रयास भी पराजित नहीं कर पाया। गाजियाबाद विधानसभा सीट पर समीकरण कुछ इस तरह के हैं कि अगर इंडिया गठबंधन किसी अच्छे प्रत्याशी को यहां से उतारकर मजबूती से लड़ता है तो गाजियाबाद जिले की इस विधानसभा सीट को भेदा भी जा सकता है। चुनावी विशेषज्ञों का मानना है कि यहां विपक्षी मिलकर अगर ब्राह्मण, वैश्य या पंजाबी बिरादरी से किसी मजबूत प्रत्याशी को उतारते हैं तो परिणाम बदल भी सकते हैं। यहां सबसे अधिक मतदाता दलित और पिछड़े वर्ग से जुड़े हैं उसके बाद मुस्लिम मतदाताओं की खासी संख्या बताई जाती है। ब्राह्मण, वैश्य और पंजाबी लगभग बराबर की संख्या में हैं जो औसतन 50 से 60 हजार के बीच है। बहुजन समाज पार्टी ने वैश्य वर्ग के परमानंद गर्ग को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। परमानंद गर्ग का वैश्य समाज में अच्छा रसूख बताया जाता है। दूसरी तरफ आजाद समाज पार्टी ने सतपाल चौधरी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है और सतपाल चौधरी ने बागू कॉलोनी में अपना चुनावी दफ्तर खोलकर जोरदार प्रचार भी आरंभ कर दिया है। भाजपा अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं कर पा रही है वहीं कांग्रेस जिसके खाते में गाजियाबाद की यह सीट गठबंधन के तहत आ रही है उसने भी अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। अभी तक मैदान में बसपा का वैश्य प्रत्याशी, आजाम समाज पार्टी का जाट प्रत्याशी ही मैदान में उतरे हैं और लोगों के बीच जा रहे हैं जबकि भाजपा और कांग्रेस के बीच प्रत्याशियों के चयन को लेकर कड़ा मंथन चल रहा है।