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श्रीदूधेश्वरनाथ मन्दिर में गणपति लड्डू महोत्सव कल से शुरू

गाजियाबाद। श्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मंदिर में शुक्रवार से गणेश उत्सव मे कोविड-19 कि तीसरी लहर के हालत देखते हुए सुक्ष्म रुप से मनाया जायेगा तथा लोगों को ज्यादा एकत्र नहीं होने दिया जायेगा। कल भाद्रपद कि शुक्ल चतुर्थी के दिन सर्वप्रथम गणेश महाराज की स्थापना से किया जायेगा जिसमें गणेश महाराज की स्थापना मन्दिर श्रीमहन्त नारायणगिरी महाराज एवं मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष धर्मपाल गर्ग एवं पत्नी गिन्नी देवी गर्ग द्वारा की जायेगी।
मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष धर्मपाल गर्ग ने बताया कि गणेश चतुर्थी पर अगर सिद्धि विनायक की पूजा की जाए तो ज्यादा लाभकारी होता है। सिद्धि विनायक की चार भुजाएं हैं, उनके दोनों पत्नियां रिद्धि-सिद्धि भी विराजमान हैं। सिद्धि विनायक के ऊपर हाथ में कमल और अंकुश होता है। वहीं, नीचे के हाथ में मोतियों की माला होती है। दूसरे हाथ में मोदक से भरा पात्र होता है। धार्मिक मान्यता है कि सिद्धि विनायक की पूजा से लोगों के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं, घर में सुख, समृद्धि और शांति स्थापित होती है। इस मौके पर मंदिर परिसर में गणपति महाराज की सोशल डिस्टेंस के साथ पूजा-अर्चना की जायेगी एवं प्रतिदिन लड्डू का भोग लगाया जायेगा। इस दौरान एक-एक भक्त भगवान गणेश की पूजा अर्चना कर पुण्य की प्राप्ति करेंगे। श्रीमहंत नारायण गिरिजी महाराज अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीपचंदशनाम जूना अखाड़ा ने बताया कि श्रीदुधेश्वरनाथ मन्दिर में  गणेश चतुर्थी पर महाराष्ट्र की तरह हर वर्ष की भाति इस वर्ष सूक्ष्म रूप से मनाया जायेगा। दूधेश्वर में भी गणपति कि विशेष पूजा अर्चना के साथ गणेश जी की स्थापना 10 सितंबर को प्रात:काल 11 बजे कि जायेगी एवं शाम 4 से 6 बजे तक गणेश जी का पूजन एवं भोग लगाने के लिए 11000 लडडूओं का भोग लगाया जायेगा। इसमें आटा, चीनी, देस घी, बुरादा, खोपरा, बेसन, गोद, पंचमेवा, गोंद, इलाईची आदि से तैयार किया जायेगा। मन्दिर के पीठाधीश श्रीमहन्त नारायणगिरि जी महाराज एवं मन्दिर विकास समिति के अध्यक्ष धर्मपाल गर्ग व दूधेश्वर वेद विद्यापीठ के आचार्य कैलाश नाथ तिवारी इटावा एवं छात्रों द्वारा मन्त्रोच्चारण साथ स्थापना प्रतिदिन सुबह 8 बजे से 11 बजे तक मन्त्रोच्चार के साथ दुर्बा सहस्त्रनाम से पूजन अर्चना कर लडडू का भोग लगाया जायेगा। यह कार्यक्रम नौ दिन तक चलेगा। 10 तारीख से प्रारंभ होकर 19 सितम्बर को सम्पूर्ण होगा जो प्रतिदिन 1100 सुबह शाम लडडू का भोग लगाकर प्रसाद वितरण किया जायेगा एवं 19 सितम्बर को सवेरे मूर्ति का विर्सजन किया जायेगा जिसमें विजय मित्तल अध्यक्ष श्रंगार सेवा समिति, कार्यकर्ताओं द्वारा व्यवस्था की जायेगी।

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