गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 20 जून को पड़ रही है। पुराणों में इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। इसलिए इस दिन गंगा नाम के स्मरण मात्र से ही सभी पापों का अंत हो जाता है। तो आइए जानें कब है गंगा दशहरा, शुभ मुहूर्त और क्या है इसका महत्व?
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जिस दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई उस दिन एक बहुत ही अनूठा और भाग्यशाली मुहूर्त था। उस दिन ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तीथ थी । माना जाता है कि शुभ योगों के प्रभाव से गंगा दशहरा के पर्व में जो भी व्यक्ति गंगा में स्नान करता है उसके पाप नष्ट हो जाते हैं।
गंगा दशहरा शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
दशमी तिथि 19 जून को शाम 06 बजकर 50 मिनट को शुरू होगी। इसका समापन 20 जून शाम 04 बजकर 25 मिनट पर होगा। इस दिन गंगा नदी में स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है। इस दौरान आप स्नान-ध्यान और दान कर सकते हैं। । इसके बाद सबसे पहले सूर्यदेव को अर्घ्य दें। फिर ‘ऊं श्री गंगे नमः’ का उच्चारण करते हुए मां गंगे का स्मरण करके अर्घ्य दें। इसके बाद माँ गंगा की पूजा- आराधना करें। इस दिन निराश्रितों एवं ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें। यह अत्यंत शुभ होता है।
पानी बचाने के लिए बनाएं व्रत
हिंदू कैलेंडर का ज्येष्ठ महीना गर्मी के मौसम में आता है, इसलिए ऋषि-मुनियों ने पानी बचाने के लिए बनाएं व्रत, हिंदू कैलेंडर का ज्येष्ठ महीने के दौरान गर्मी का मौसम रहता है। इसलिए पानी की अहमियत समझाने के लिए ऋषि-मुनियों ने इस महीने में लगातार दो दिन पानी से जुड़े दो व्रत-पर्व की व्यवस्था की है। ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है। इसके अगले ही दिन एकादशी पर पूरे दिन बिना पानी पीए निर्जला एकादशी व्रत किया जाता है। साथ ही पूरे महीने जल दान भी किया जाता है। इस तरह पानी बचाने की कोशिश की जाती है।