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Ganesh Chaturthi: संकट नाशक गणेश चौठ, जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती

किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। सनातन परंपरा में गणेश चतुर्थी व्रत और गणेश पूजन का विशेष महत्व है। इस महीने संकट नाशक गणेश चौठ 27 जुलाई रविवार के दिन मनाया जायगा। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत से सभी तरह के दुःख दूर हो जाते हैं । महीने में एक दिन यह तिथि आती है।

गणेश पूजन से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है, इसलिए इनकी पूजा पूरे विधि-विधान से किया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन कथा सुनने और पढ़ने से इंसान के जीवन में सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है उसे किसी भी तरह के कष्ट का सामना नहीं करना पड़ता हैं।

पंचाग के अनुसार माह के दोनों चतुर्थी, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष भगवान गणेश को समर्पित हैं। भगवन गणेश को दूर्वा बहुत पसंद है, इन्हें पूजा मेँ दूर्वा जरूर चढ़ाएं। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का पूजन करके व्रत कथा सुनना बहुत ही लाभकारी होता है। व्रत कथा को पढ़ने और सुनने से इंसान के सारे कष्ट और दुखों का निवारण हो जाता है। वैसे भगवान गणेश व्रत पर कई कथाएं प्रचलित हैं।

गणेश चतुर्थी व्रत कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार सभी देवता संकट से घिरे थे। वे मदद मांगने के लिए शिव के पास पहुंच गए। उस समय भगवान शिव और माता पार्वती के साथ उनके दोनों पुत्र कार्तिकेय और गणेश भी वहां मौजूद थे। देवताओं के कष्ट को सुनकर भगवान शिव ने दोनों पुत्रों से पूछा कि तुम दोनों में से कौन इनकी मदद कर सकता है। दोनों शिव पुत्रों ने एक स्वर में खुद को इस योग्य बताया।

इस को सुलझाने के लिए भगवान शिव ने कहा कि तुम दोनों में से जो सबसे पहले पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाकर आएगा, वही देवताओं की मदद करने जाएगा। शिव की बात सुनकर कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा पर चल दिये, लेकिन गणेश सोचने लगे कि चूहे से परिक्रमा करना बहुत मुश्किल है और इसमें बहुत सारा समय लगेगा। बहुत सोच-विचार के बाद उन्हें एक युक्ति सूझी। गणेश अपने स्थान से उठकर पिता शिव और माता पार्वती की सात बार परिक्रमा करके बैठ गए। जब कार्तिकेय वापस लौकर आए और गणेश को बैठा पाकर खुद को विजयी समझने लगे।

भगवान शिव ने गणेश से परिक्रमा ना करने का कारण पूछा तो गणेश ने जवाब दिया कि ‘माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक है।’ उनके इस जवाब से सभी दंग रह गए। भगवान शिव ने उन्हें देवताओं की मदद करने की आज्ञा दी और कहा कि प्रत्येक चतुर्थी के दिन जो तुम्हारी पूजन और चंद्रमा को अर्ध्य देगा, उसके सभी कष्टों का निवारण होगा। इस व्रत को करने वाले के जीवन में सुखों का आगमन होगा।

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