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नया वक्फ बोर्ड बिल किसके लिए ?

कमल सेखरी
मुझे तस्व्वुरे -ए-यकीन हो भी तो कैसे हो, जब मेरा कातिल ही मेरा हमदर्द बन जाए।
भाजपा लाख समझाती रहे कि उसने मुस्लिम वक्फ बोर्ड एक्ट में जो परिवर्तन किए हैं वो मुसलमानों के हित के हैं और उससे मुस्लिम महिलाओं, बच्चों और पसमांदा मुस्लिमों को बड़ा लाभ पहुंचने जा रहा है। भाजपा का यह भी कहना है कि मुस्लिम वक्फ बोर्ड के पास दान में मिली नौ लाख एकड़ जमीन से अधिक पर अवैध कब्जे कर लिये गये हैं और वक्फ बोर्ड से जुड़े मुस्लिम नेताओं ने अपने स्वार्थों के लिए दान की गई उस जमीन को दोनों हाथों से लूटा है। साथ ही भाजपा यह भी कह रही है कि वो वक्फ बोर्ड की जमीन को बचाना चाहती है कहीं उस पर अवैध कब्जे ना हो जाएं। अब यह स्थिति स्पष्ट नहीं है कि भाजपा लूट से बचाने के लिए यह बिल लाई है या फिर जमीन कहीं लुट ना जाए इसलिए यह बिल लाया गया है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठनों ने यह कहा है कि वक्फ बोर्ड की नब्बे फीसदी जमीन डिजिटल माध्यम से अंकित कर ली गई है लिहाजा उसमें कहीं और लूट होने की गुंजाइश नहीं बची है। मुस्लिम वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन लाए जाने के लिए पिछले बुधवार को लोकसभा में लगभग 12 घंटे बहस चली और बीते दिन गुरुवार को लगभग 13 घंटे पक्ष और विपक्ष के बीच राज्यसभा में बड़ी गहमा-गहमी से बात हुई। लोकसभा और राज्यसभा में दोनों ही दिन रात बारह बजे के बाद ही संशोधन बिल पास कराया गया। अब ये रात के बारह बजे का भाजपा से क्या जुड़ाव है इस पर भी चर्चा हो रही है क्योंकि नोटबंदी से लेकर और कई बड़े फैसले भाजपा रात बारह बजे ही लेकर आई है। विपक्षी नेताओं का कहना है देश रात बारह बजे आजाद हुआ जिसमें भाजपा के किसी नेता की कोई भागेदारी नहीं थी इसलिए दिल के उसी मलाल को पूरा करने के लिए भाजपा देश का हर बड़ा फैसला रात बारह बजे ही करती है। अब इन दो दिनों की बहस में जिन लोगों ने भी निरंतरता से इसे सुना है वो शायद अभी तक यह अनुमान नहीं लगा पा रहे कि इस बिल को लाने में भाजपा का उद्देश्य क्या है और इससे मुस्लिम समुदाय को अलग से क्या मिलने जा रहा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इस बिल को बनाने के लिए जो संयुक्त संसद सदस्यों की समिति बनी उसमें मिलाकर 31 सदस्यों में से 19 एनडीए के थे और 12 विपक्ष के सदस्य थे। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि हमने इस बिल में जो भी सुझाव अपनी तरफ से दर्ज कराए उनमें से कोई एक सुझाव भी बिल के मसौदे में शामिल नहीं किया गया। और अब जो दो दिन बहस लोकसभा व राज्यसभा में मिलाकर चली उसमें भी विपक्षी नेताओं ने दोनों सदनों में जो सुझाव दिये उन्हें भी बिल में शामिल नहीं किया गया और बिल जस का तस पारित करा लिया गया। अब इस बिल के पारित होने से मुस्लिम समुदाय पर क्या असर होगा और वो कैसी प्रतिक्रिया करेगा यह तो समय बताएगा लेकिन यह तो तय है कि मुस्लिम समुदाय आने वाले बिहार के चुनाव में नीतीश कुमार और चिराग पासवान को माफ करने नहीं जा रहा है। इसी तरह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडु को भी आने वाले वक्त में मुस्लिम समुदाय की नाराजगी झेलनी पड़ेगी। कांग्रेस ने सार्वजनिक रूप से घोषणा कर दी है कि वो इस बिल के खिलाफ माननीय सर्वोच्च न्यायालय जाएगी और इसे खारिज कराने की कोशिश करेगी। इसी तरह कई मुस्लिम संगठन और अन्य कई सामाजिक संगठन इस नए वक्फ बिल को माननीय सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। इन सब कानूनी दांवपेचों के अलावा इस बात को भी खारिज नहीं किया जा सकता कि वक्फ बोर्ड के इस नए कानून के खिलाफ मुस्लिम समुदाय प्रतिक्रिया करते हुए सड़कों पर अपना आक्रोश भी जता सकता है। आज सुबह से ही उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों में कई संवेदनशील स्थानों पर बड़ी संख्या में पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों की टुकड़ियां फ्लैग मार्च कर रही हैं। हम तो प्रारंभ से ही ये ही प्रार्थना करते चले आ रहे हैं कि ईश्वर हमारे देश में शांति कायम रखे और वो राजनेता जो अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते देश का सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश में लगे हैं वो सफल ना हो पाएं।

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