चर्चा-ए-आमस्लाइडर

खलनायक ढूंढो, जल्दी गहरी चोट लगाओ

कमल सेखरी
पहलगाम में हुए नरसंहार की पीड़ाजनक घटना को घटित हुए आज आठ दिन पूरे हो गए हैं। लेकिन अभी तक हम यह पता नहीं लगा पाए कि जिन दुर्दांत दरिंदों ने इस दर्दनाक घटना को अंजाम दिया वो हैं कौन? और उनके तार सही मायने में कहां से जुड़े हैं। ऐसा ही हमारे साथ पुलवामा की उस घटना में हुआ जिसमें राजमार्ग पर फौजी बस में जाते हमारे 40 जवान सैनिकों को एक धमाके में उड़ा दिया गया। हम पुलवामा की उस घटना में भी यही कहते रहे कि इसमें जिन आतंकवादियों और उनके आकाओं का हाथ है उन्हें हम छोड़ेंगे नहीं, उन्हें पाताल में भी जाकर मौत के घाट उतार देंगे। हालांकि पुलवामा की इस घटना को लेकर हमने जोरदार जवाब जरूर दिया और बालाकोट में हवाई हमले करके आतंकियों के कई ठिकानों को नेस्तानाबूद कर दिया। हमारे इस हमले में कई आतंकी भी मारे गए। और अब पहलगाम में हम इस दरिंदगी की घटना के बाद लगातार यही कह रहे हैं कि हम जिन्होंने इस शर्मसार घटना को अंजाम दिया है उन आतंकियों को हम छोड़ेंगे नहीं और उनके आकाओं को भी मिट्टी में मिला देंगे। लेकिन अभी तक ना तो पुलवामा और ना ही अब पहलगाम की घटना में हमारे हाथ उन गुनाहगारों तक पहुंच पाए हैं जिन्होंने इन घटनाओं को अंजाम दिया और इनकी योजना बनाई। हो सकता है हम आतंकियों को फिर कोई मुंहतोड़ बड़ा जवाब देकर फिर से नायक की भूमिका में आ जाएं लेकिन असली खलनायक कौन है उन्हें उनके गुनाह की सजा दिये बिना हम फिर से नायक बन जाएंगे तो यह नाइंसाफी होगी, हमें खलनायक तो ढूंढने ही होंगे। हालांकि हमने अपनी सीमा में कश्मीर के अलग-अलग स्थानों पर दस आतंकियों के घरों को बमों से उड़ा तो दिया लेकिन उससे कश्मीर के अवाम पर और दूसरी तरफ हमारे दुश्मन मुल्क में रहने वाले लोगों पर क्या फर्क पड़ा, इन दस घरों को उड़ाने से शायद किसी एक की भी आंख में आंसू नहीं आया हो क्योंकि इन आतंकवादियों को उनके परिजन और समाज अपने दिल और दिमाग से पहले ही बेदखल कर चुका है। हालांकि हमारे प्रधानमंत्री जो बार-बार मुंहतोड़ जवाब देने और कठोर से कठोर कार्रवाई करने के बयान दे रहे हैं उससे निसंदेह पाकिस्तान की फौज में और सियासत में एक भय का माहौल तो बना हुआ है। पाक फौज सेना अध्यक्ष आसिफ मुनीर ने कहा जाता है कि अपने परिवार को विदेश भेज दिया है इसी तरह उप प्रधानमंत्री बिलावल भुट्टो का परिवार भी बाहर जा चुका है। इसी तरह कई और बड़े सियासी नेताओं ने भी अपने परिवारों को पाकिस्तान से विदेश भेज दिया है। अब हम कठोर से कठोरतम कार्रवाई कब और कैसे करेंगे यह तो हमारी सरकार समय पर ही करकर दिखाएगी लेकिन नरसंहार की इस घटना से पूरे देश में पाकिस्तान के खिलाफ जो क्रोध और आक्रोश उभरा है वो नरम पड़ने से पहले हमें चोट लगा देनी चाहिए। क्योंकि देश का अवाम भले ही एकजुट होकर साथ रहे लेकिन सियासी नेताओं को अधिक समय तक एक मत साथ रख पाना आसान काम नहीं है। अभी से सत्ता दल के कई बड़े नेताओं ने अपने पुराने चलन हिन्दू-मुसलमान का खेल फिर से खेलना शुरू कर दिया है और वहीं दूसरी ओर घटित घटना को लेकर विपक्षी दलों ने भी सत्ता दल को कई नए सवालों के साथ घेरना शुरू कर दिया है। लिहाजा जरूरी है असली खलनायक तुरंत ढूंढे जाएं और जवाबी बदले का अविलंब अमली जामा पहनाया जाए।

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