नई दिल्ली। नए तीनों कृषि कानूनों को वापस कराकर ही किसानों ने दम लिया। किसानों ने इसे अपनी जीत बताई और उसका जश्न मनाते हुए आज से अपने घरों को लौट रहे हैं। दिल्ली बॉर्डरों से तंबू तो दो दिन पहले ही उखड़ने लगे थे लेकिन आज पूरा बॉर्डर खाली हो जाएगा। गाजे-बाजे के साथ किसान अपने घरों को लौट रहे हैं। गाजीपुर बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर पर किसानों के वापस लौटने का नजारा बेहद ही अलग दिखाई दे रहा है। भारी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रालियां होने की वजह से कई जगह जाम की भी स्थिति है।
गाजीपुर बॉर्डर पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों का एक बड़ा समूह कल सुबह आठ बजे यह क्षेत्र खाली कर देगा। आज की बैठक में हम बात करेंगे, प्रार्थना करेंगे। इसके साथ ही उन लोगों से मिलेंगे जिन्होंने हमारी मदद की। हमारे किसान भाइयों ने घर वापसी शुरू कर दी है, इसमें चार से पांच दिन लगेंगे। मैं अपने घर की ओर 15 दिसंबर को निकलूंगा।
380 दिन तक चले इस आंदोलन में सात सौ से अधिक किसानों ने अपने प्राणों की आहूति दी है। अपने साथियों के बलिदान के साथ किसान फतेह मार्च निकालते हुए घर की ओर कूच कर रहे हैं। पंजाब के किसान तो ठीक उसी तरह से अपने घरों को लौट रहे हैं जैसे राजा जंग जीतने के बाद अपनी विरासत लौटता है।
फतेह मार्च की अगुआई सिख परंपरा के अनुसार श्री गुरु ग्रंथ साहिब के साथ पंज प्यारों ने की। इस फतेह मार्च में महाराजाओं की तरह किसानों के आगे घोड़ा गाड़ियां और किसान सेना का बड़ा काफिला चल रहा है। हालांकि रविवार तक पूरा बॉर्डर खाली हो पाएगा लेकिन अब बॉर्डरों पर फिर से गाड़ियां सरपट दौड़ती नजर आएंगी।