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एनएमसीजी के महानिदेशक की अध्यक्षता में हुई कार्यकारी समिति की बैठक

  • सीवरेज प्रबंधन के लिए सहारनपुर में हिंडन नदी के लिए 135 एमएलडी एसटीपी परियोजना को मंजूरी
  • उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में मौजूदा सीवरेज बुनियादी ढांचे के लिए एफएसटीपी
    नई दिल्ली।
    राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक अशोक कुमार की अध्यक्षता में 42वीं कार्यकारी समिति की बैठक हुई। बैठक में विभिन्न राज्यों की परियोजनों पर विस्तृत चर्चा के साथ उन्हें मंजूरी दी गई। जिन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई उनमें सहारनपुर टाउन के लिए हिंडन नदी के लिए इंटरसेप्शन, डाइवर्जन और ट्रीटमेंट से जुड़े कार्य, गढ़मुक्तेश्वर में चामुंडा माई तालाब का कायाकल्प रहा। कार्यकारी समिति की बैठक में एनएमसीजी के वरिष्ठ अधिकारियों सहित कार्यकारी निदेशक (प्रशासन) एसपी वशिष्ठ, एनएमसीजी के उप महानिदेशक एसआर मीणा, कार्यकारी निदेशक (फाइनेंस), भास्कर दास गुप्ता और जल शक्ति मंत्रालय की जाइंट सेकेट्री और फाइनेंसियल एडवाइजर ऋचा मिसरा शामिल रहीं।
    चूंकि नमामि गंगे कार्यक्रम का मुख्य फोकस गंगा की सहायक नदियों की सफाई पर रहा है। इसलिए उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हिंडन नदी की सफाई के लिए सीवरेज प्रबंधन की एक बड़ी परियोजना को मंजूरी दी गई। परियोजना की अनुमानित लागत 577.23 करोड़ है जिसमें 135 एमएलडी एसटीपी का निर्माण, इंटरसेप्शन और डायवर्सन संरचनाओं के निर्माण और सीवर लाइन बिछाने आदि शामिल हैं।
    कार्यकारी समिति की बैठक के दौरान इसे मंजूरी दी गई।
    उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में चामुंडा माई तालाब के कायाकल्प के लिए 81.76 लाख रुपये की अनुमानित लागत वाली परियोजना को मंजूरी मिली है। इस परियोजना में गाद निकालना, पानी निकालना, आर्द्रभूमि प्रणाली, जल उपचार, वातन प्रणाली, वृक्षारोपण, बाड़ लगाना आदि शामिल हैं जो भूजल को रिचार्ज करने में मदद करेंगे और स्थानीय आबादी के लिए पानी के स्रोत के रूप में कार्य करेंगे। यह गांव के समग्र सौंदर्य और स्वच्छता में भी सुधार करेगा। कायाकल्प होने वाले तालाब का कुल क्षेत्रफल लगभग 10626 वर्ग मीटर है।
    मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए एनएमसीजी ने बैठक में सेप्टेज प्रबंधन की दो परियोजनाओं को मंजूरी दी। इनमें से एक परियोजना हरिद्वार (150 केएलडी), ऋषिकेश (50 केएलडी), श्रीनगर (30 केएलडी) और देवप्रयाग (5 केएलडी) के मौजूदा एसटीपी में सेप्टेज के सहउपचार के साथ उत्तराखंड राज्य को कवर करती है जबकि दूसरी परियोजना (एकीकृत सेप्टेज उपचार बर्दवान नगर पालिका के लिए संयंत्र) पश्चिम बंगाल में गंगा की एक सहायक नदी बांका में सीवेज के प्रवाह की रोकथाम पर केंद्रित है। इन परियोजनाओं की अनुमानित लागत क्रमश: 8.6 करोड़ और 6.46 करोड़ है जिसमें 5 वर्षों के लिए मल कीचड़ उपचार संयंत्रों का संचालन और रखरखाव शामिल है। इन परियोजना का मुख्य उद्देश्य बिना सीवर वाले क्षेत्रों से अनुपचारित सेप्टेज के निर्वाहन से बचकर गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता में और सुधार करना है।

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