- इंटरनेट है सबसे बड़ा दुश्मन, बच्चे भी नहीं बिताना चाहते बुजुर्गों के साथ समय
गाजियाबाद। वरिष्ठ नागरिक सेवा समिति ने वरिष्ठ जन योग केंद्र एल ब्लॉक कविनगर में अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दुर्व्यवहार दिवस के उपलक्ष्य में विचार गोष्ठी का आयोजन समिति के अध्यक्ष डाक्टर जेएल रैना की अध्यक्षता में किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि व मुख्य वक़्ता दिल्ली हाईकोर्ट की अधिवक्ता एवं भारतीय पुनर्वास परिषद की कानूनी सलाहकार अनुजा सक्सेना थीं। समारोह का शुभारम्भ वीपी रस्तोगी द्वारा गायत्री मंत्र के साथ किया गया। समिति के महासचिव आरके गुप्ता ने सदन को समिति के उद्देश्यों, पृष्ठभूमि तथा विभिन्न गतिविधियों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि समिति हर वर्ष आर्थिक रूप से कमजोर, मेधावी छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति,जरूरतमंद बुजुर्गों को ठंडे व गर्म कपड़ों का वितरण के साथ ही अन्य सेवाकार्य अपने सदस्यों, दानदाताओं के सहयोग से बखूबी निभा रही है। इसी के साथ सदस्यों के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम भी समय-समय पर आयोजित करती रहती है। मुख्य अतिथि व अन्य सदस्यों ने अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दुर्व्यवहार दिवस मनाने की जरूरत की और सदन का ध्यान आकर्षित करते हुए अपने-अपने विचार व्यक्त किए और बताया कि इस दिन को मनाने का उद्देश्य बुजुर्गों को सम्मान देना व उनके योगदान को याद करना है। आज की भागदौड़ की जीवन शैली में बुजुर्ग अपने को उपेक्षित समझें जाने के कारण सर्वाधिक दुखी रहता है। बुजुर्ग देश, समाज व परिवार को गढ़ने में पूरा जीवन देने के बाद भी जिंदगी के आखिरी पड़ाव में फाइनेंशियल, सोशल व पर्सनल फ्रंट पर अकेला मानता है। यह मानवाधिकार का मुद्दा है। शहर ही नहीं अब तो गांव का वातावरण भी इससे दूषित हो रहा है। एक सर्वे के अनुसार 71 प्रतिशज बुजुर्ग किसी ना किसी रूप में शोषण व दुर्व्यवहार के शिकार होते हैं चाहे वह तिरस्कार, गाली-गलौज, अनदेखी या मारपीट हो। इसके लिये जिम्मेदार कौन है? आज का युवा वर्ग, बुजुर्ग स्वयं, आज का वातावरण। कुछ वक़्ताओं के अनुसार सोशल मीडिया एक मुख्य कारण है। जिससे हम दुनिया जहान की खबर तो रखते हैं पर घर में बुजुर्गो के लिए समय नहीं, बच्चे भी बुजुर्गो के साथ समय व्यतीत नहीं करना चाहते, वह इंटरनेट की दुनिया में मस्त हैं। सरकार ने बुजुर्ग दुर्व्यवहार रोकथाम के लिए मेंटेनेंस व वेल्फेयर आफ पेरेंट्स सिटिजन एक्ट बनाया भी पर बुजुर्ग समाज के डर या अन्य कोई वैकल्पिक व्यवस्था न होने के कारण इस एक्ट के तहत कुछ नहीं करते। हमें बुजुर्गों के सम्मान के लिए जन चेतना को जगाना होगा। बुजुर्ग हमारी जिम्मेदारी ही नहीं जरूरत हैं। नई पीढी की सोच मे परिवर्तन लाना होगा ताकि वह बुजुर्गों के व्यापक अनुभवों से सीख लें। बुजुर्ग भी अपने अनुभवों से समाज का मार्ग दर्शन करे। सभी वक़्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि हम समाज में ऐसा स्वस्थ वातावरण उपलब्ध कराएं जहां बुजुर्ग अपने को सुरक्षित, सुखी व प्रसन्न महसूस करे। साथ में बुजुर्गों के मन में भी आशा व जीवन के प्रति उत्साह जाग्रत करना चाहिए। यदि हम यह कर सके तो सही रूप में इस दिन को मनाना सफल होगा। अंत में अध्यक्ष डाक्टर रैना ने मुख्य वक़्ता अनुजा सक्सेना व अन्य वक़्ताओं का विचार व्यक्त करने व सदस्यों का कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया। वक़्ताओं में विशेष रूप से वीके शर्मा,आरए गोयल, पीसी गुप्ता, आरपी शर्मा, अनिल चौधरी, वीजी शर्मा, आदिश ने भाग लिया। इस अवसर पर काफी संख्या में सदस्य उपस्थित रहे। एके गुप्ता, एमबी भारद्वाज, मिथलेश बंसल, अनिल चौधरी, एल डी शर्मा, एसके रस्तोगी का कार्यक्रम को सफल बनाने में विशेष सहयोग रहा। राष्ट्रगान व स्वादिष्ट भोजन के पश्चात कार्यक्रम समाप्त हुआ।