- अभिभावकों के सामने गुलामी जैसे हालात
- कोरोनाकाल में साफ हो गया कि निजी शिक्षण संस्थाएं केवल व्यापार का केंद्र
गाजियाबाद। गाजियाबाद पैरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा त्यागी ने निजी शिक्षण संस्थानों की मनमनी को लेकर एक बयान जारी किया है। सोशल मीडिया के माध्यम से जारी किए गए बयान में उन्होंने कहा है कि भारत में लगभग सौ साल बाद आई वैश्विक महामारी ने जहां आम आदमी की कमर तोड़कर रख दी वहीं शिक्षा जैसे अत्यन्त गम्भीर मुद्दे पर सरकार की दूरदर्शिता की पोल खोलकर रख दी है। पूरे देश में 18 महीने लगभग 550 दिन से भी ज्यादा स्कूल बंद रहे और आनलाइन शिक्षा के माध्य्म से आधी अधूरी शिक्षा दी गई। अगर उत्तर प्रदेश की ही बात करें तो लगभग 56 प्रतिशत बच्चे संसाधनो के आभाव में आनलाइन शिक्षा से वंचित रहे। इसके बावजूद देश और प्रदेश के निजी शिक्षण संस्थानों ने अभिभावकों से जमकर लूट मचाई जो अभी तक जारी है और सरकार फीस लूट के मुद्दे पर चुप्पी साधे रही और निजी शिक्षण संस्थानों को संरक्षण देती रही। उन्होंने कहा कि पूरे देश में गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन और अभिभावकों के माध्य्म से 9 दिन की भूख हड़ताल, आंदोलन, ट्विटर और ज्ञापन के माध्य्म से सरकार को अभिभावकों की आवाज और पीड़ा पहुंचाने की कोशिश की गई जो आज भी बदस्तूर जारी है लेकिन सरकार में बैठे नीति निर्धारकों ने सब कुछ जानकर भी अनजान बन चुप्पी साध रखी है। शिक्षा माफियाओं और नीति निर्धारकों के बीच आज मजबूत गठबंधन बन चुका है जिसे तोड़ने के लिए अब अंग्रेजों से भारत आजाद कराने की लड़ाई जैसी ही शिक्षा को आजाद कराने के लिए लड़ाई लड़नी पड़ेगी और इसमें प्रत्येक भारतवासी को आगे आकर योगदान देना पड़ेगा वरना अब वो दिन दूर नहीं जब शिक्षा केवल अमीरों या कहें कि एलीट ग्रुप तक ही सीमित होकर रह जायेगी। उन्होंने आरोप लगाया है कि शिक्षा माफियाओं और सरकार के मजबूत गठबंधन ने सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर निजी शिक्षण संस्थानों को बढ़ावा देकर शिक्षा को व्यापार बना दिया है। इसके कारण शिक्षा अब आम आदमी से दूर होती जा रही है। निजी स्कूलों ने शिक्षा को व्यापार बनाकर इसे ऊंचे से ऊंचे दामों पर बेचना शरू कर दिया है। इससे शिक्षा को मौलिक अधिकार कहे जाने की परिभाषा ही बदल गई है और प्रत्येक बच्चे को सस्ती और सुलभ शिक्षा अब केवल संविधान के पन्नों तक सीमित होकर रह गई है। सरकार में बैठे नीति निर्धारकों तक निजी शिक्षण संस्थानों के संचालकों की मजबूत पकड़ दिखती है। कोरोना काल मे बंद निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा लूटी गई पूरी फीस और अभिभावकों की आनलाइन क्लास के अनुसार फीस निर्धारण की मांग पर देश के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केन्द्रीय शिक्षा मंत्री भी बोलने की हिम्मत नहीं दिखा पाए, इस कारण अभिभावकों के लिए गुलामी की जंजीरों में जकड़ने जैसे हालात पैदा हो गये हंै। सीमा त्यागी ने कहा कि क्रांतिकारी कभी थकते नहीं और न ही इनके हौसले पस्त होते हैं। जीपीए शिक्षा को गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने के लिए दृढ़संकल्पित है। शिक्षा माफियाओं और सरकार के मजबूत गठबंधन पर लगातार प्रहार कर शिक्षा को हर हालत में आजाद कराकर देश के प्रत्येक बच्चे को सस्ती एवं सुलभ शिक्षा के सपने को साकार करेगी।