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कांवड़ यात्रा के चलते जिले में 27 को होगा कृमि मुक्ति कार्यक्रम

  • 19 साल तक के बच्चों और किशोरों को खिलाई जाएगी पेट के कीड़े निकालने की दवा
  • शासन के निर्देश पर 20 जुलाई को पूरे सूबे में मनाया जा रहा है नेशनल डीवार्मिंग डे
  • तीन दिन मॉपअप राउंड चलाकर छूटे बच्चों को खिलाई जाएगी एल्बेंडाजोल की गोली
    गाजियाबाद।
    कांवड़ यात्रा के चलते जनपद में कृमि मुक्ति कार्यक्रम के तहत 27 जुलाई को एक से 19 वर्ष तक बच्चों और किशोरों को पेट के कीड़े निकालने की दवा (एल्बेंडाजोल) की गोली खिलाई जाएगी। जनपद में स्कूलों व आंगनबाड़ी केन्द्रों पर एल्बेंडाजोल खिलायी जाएगी। बच्चों को दवा कैसे और कितनी दी जाएगी इसके लिए जिला और ब्लाक स्तर पर शिक्षकों, आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और एएनएम को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
    मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने बताया – शासन के निर्देश पर नेशनल डीवार्मिंग डे (एनडीडी) 20 जुलाई को होना था, लेकिन कांवड़ यात्रा के चलते जिले में यह कार्यक्रम एक सप्ताह आगे कर दिया गया है। अब जनपद में एनडीडी के आयोजन की तिथि 27 जुलाई निर्धारित की गई है। इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत किया जाता है।
    सीएमओ डा. शंखधर ने बताया साल में दो बार एक से 19 वर्ष तक के बच्चों और किशोरों को एक निर्धारित तिथि पर पेट से कीड़े निकालने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाती है। गोली खाने से छूट गए बच्चों के लिए तीन दिन का मोपअप राउंड भी चलाया जाता है ताकि हर बच्चे को यह गोली खिलाई जा सके। उन्होंने बताया- एक से दो वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली पानी से खिलाई जाती है जबकि दो से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक गोली खिलाई जाती है। गोली खाली पेट नहीं खिलानी चाहिए। इसके अलावा यदि कोई बच्चा बीमार है तो उसे भी यह गोली नहीं देनी है।
    सीएमओ ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम और प्रशिक्षित शिक्षक और आंगनबाड़ी-आशा कार्यकर्ता यह गोली खुद अपने सामने खिलाएंगी, अभियान में स्वास्थ्य विभाग के अलावा शिक्षा विभाग और समेकित बाल विकास विभाग का भी सहयोग लिया जाएगा। संबंधित विभागों को अभियान शुरू करने से पहले प्रशिक्षण दिया जाएगा। कोई बच्चा यदि सर्दी-खांसी या बुखार से पीड़ित है तो उसे यह गोली नहीं खिलानी है।
    छोटे बच्चों को गोली निगलने में परेशानी हो सकती है, इसलिए ऐसे बच्चों को गोली पीसकर खिलाई जाती है। शासन से निर्देश दिए गए हैं कि बच्चों को स्कूलों में दोपहर के भोजन के बाद यह गोली दी जाए, क्योंकि खाली पेट गोली खाने की मनाही है। यह गोली किसी भी प्रकार से बच्चों के लिए नुकसानदेय नहीं होती, लेकिन फिर भी प्रशिक्षित की निगरानी में ही बच्चों को गोली खिलाई जाती है।

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