- 10 क्षय रोगियों को गोद लेकर पुष्टाहार उपलब्ध कराने का निर्णय लिया
- नियमित रूप से क्षय रोगियों के संपर्क में रहकर उठाएंगे जिम्मेदारी
हापुड़/ धौलाना। स्वास्थ्य विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों के बाद अब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धौलाना के चिकित्सकों और स्टाफ ने भी निक्षय मित्र बनकर टीबी मरीजों की जिम्मेदारी उठाने का निर्णय लिया है। इस मौके पर जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने क्षय रोगियों को संबोधित करते हुए कहा कि नियमित रूप से दवा अवश्य खाते रहें। यदि किसी तरह की परेशानी हो तो चिकित्सक से परामर्श लें, लेकिन किसी भी हाल में दवा बीच में नहीं छोड़ें। इसके साथ ही अपने परिजनों की भी टीबी जांच जरूर कराएं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, धौलाना पर एक संक्षिप्त कार्यक्रम के दौरान मंगलवार को चिकित्सा अधीक्षक डा. रोहित मनोहर ने तीन क्षय रोगियों को गोद लेकर पुष्टाहार उपलब्ध कराया। इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ही तैनात डा. संजय सिंह, डा. केके शर्मा, डा. वरुण चौधरी, डा. मोहिन्दर सिंह, डा. एसपी सिंह, क्षय रोग विभाग से धौलाना टीबी केंद्र पर तैनात टीबीएचवी नंदकिशोर और लैब टेक्नीशियन मनीष कश्यप ने भी एक-एक क्षय रोगी की जिम्मेदारी ली है। कार्यक्रम के दौरान कुल 10 क्षय रोगियों को पुष्टाहार उपलब्ध कराया गया।
इस मौके पर चिकित्सा अधीक्षक डा. रोहित मनोहर ने बताया कि नियमित रूप से दवा खाने पर क्षय रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है। क्षय रोगी उपलब्ध कराए गए पुष्टाहार का सेवन करते रहें। उन्हें हर माह इसी तरह से पुष्टाहार मिलता रहेगा, इसके अलावा हर माह उनके खाते में भी निक्षय पोषण योजना के तहत पांच सौ रुपए आते रहेंगे। सभी चिकित्सकों ने नियमित रूप से क्षय रोगियों के संपर्क में रहकर भावनात्मक और सामाजिक सहयोग उपलब्ध कराने की बात भी कही।
जिला पीपीएम कोर्डिनेटर सुशील चौधरी ने बताया कि क्षय रोगियों को दवा के साथ-साथ प्रोटीन युक्त पोषण की जरूरत होती है। पोषण से क्षय रोग को मात देने में काफी मदद मिलती है। साथ ही अन्य बीमारियों की चपेट में आने का खतरा भी नहीं रहता।
जीएस मेडिकल कालेज में हुई कोर कमेटी की बैठक
जीएस मेडिकल कॉलेज में जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राजेश सिंह ने मंगलवार को कोर कमेटी के साथ बैठक की। बैठक में मेडिकल कॉलेज के सभी विभागाध्यक्ष, डीन और चिकित्सा अधीक्षक मौजूद रहे। डीटीओ ने कोर कमेटी में निर्देश दिए कि डीआरटीबी सेंटर को नियमित रूप से संचालित किया जाए। यदि कोई भी एडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंट) टीबी का रोगी उपचार के लिए पहुंचता है तो उसे डीआरटीबी सेंटर में भर्ती कर उपचार दिया जाए। इसके साथ ओपीडी में आने वाले रोगियों की टीबी स्क्रीनिंग करते हुए लक्षण युक्त रोगियों की निशुल्क टीबी जांच कराई जाए।