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श्री त्रिपुर सुन्दरी बाला चतुर्भुजी देवी मंदिर में भक्तों ने की मां चंद्रघंटा की पूजा

गाजियाबाद। प्रात: काल से ही प्राचीन सिद्ध पीठ देवी मंदिर में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की तीसरे दिन प्रात: काल आचार्य एवं महंत व भक्तों द्वारा भव्य मां देवी का श्रंगार के साथ आरती की जिसमें सैकड़ों महिला एवं पुरुष व बच्चों ने आरती में भाग लिया एवं माता को चुनरी प्रसाद चढ़ाकर माथा टेककर आशीर्वाद प्राप्त किया। पंडितों द्वारा शक्ति की उपासना शुरू की गई एवं देवी मंदिर के महंत गिरिशा नन्द गिरी जी महाराज के सानिध्य में 11 विद्वान पंडितों द्वारा शतचंडी पाठ शुरू किया। देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की कतार लगी रही। मंदिर के संचालक महंत गिरिशा नन्द गिरी महाराज एवं प्रमुख आचार्य राम मनोहर अग्निहोत्री एवं आचार्य नित्यानंद द्वारा एवं अन्य पंडितों ने बताया कि नवरात्रि के पावन पर्व में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की नवरात्रि का तीसरा दिन 28 सितंबर 2022, बुधवार होने पर देवी पुराण के अनुसार देवी दुर्गा के तृतीय स्वरूप को चंद्रघंटा कहा जाता है। देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्धचंद्र सुशोभित है, इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। नवरात्रि के तीसरे दिन का शुभ मुहूर्त, रंग, भोग देखकर पूजा पाठ किया गया। एस आर सुथार ने बताया कि प्राचीन सिद्ध पीठ श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर में पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायणगिरि महाराज के सानिध्य एवं आशीर्वाद से मां चंद्रघंटा का स्वरूप-माता का तीसरा रूप मां चंद्रघंटा शेर पर सवार हैं। दस हाथों में कमल और कमडंल के अलावा अस्त-शस्त्र हैं। माथे पर बना आधा चांद इनकी पहचान है। इस अर्ध चांद की वजह के इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इस मौके अनेक भक्तों ने आचार्य द्वारा मन्त्रोच्चारण के आहुतियां दी गई। आचार्य नित्यानंद द्वारा शत चंडी पाठ आचार्य एवं दूधेश्वर वेद के विद्यार्थियों द्वारा बाबा दूधेश्वर नाथ की पूजा अर्चना की गई।

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