- नई बस्ती में कारोबारी सतीश गोयल के पूरे परिवार को उतारा था मौत के घाट
- कोर्ट का फैसला आने में बीत गए नौ साल
गाजियाबाद। नौ साल पहले गाजियाबाद के पुराने शहर नई बस्ती में हुए नरसंहार को सुनकर आज भी लोगों की रुह कांप जाती है। 21 मई 2013 की रात बुजुर्ग कारोबारी सतीश गोयल, उनकी पत्नी, पुत्र, पुत्रवधू, पौत्र-पौत्रियों की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई थी। घर में मौजूद सभी सदस्यों को एक साथ मौत के घाट उतारने की घटना की गूंज पूरे देश में सुनाई पड़ी। इस मामले में पुलिस ने कारोबारी सतीश गोयल के पूर्व ड्राइवर को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। कोर्ट ने आज इस मामले में बड़ा फैसला सुनाया। आरोपी ड्राइवर को फांसी की सजा सुनाई। शनिवार को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस सनसनीखेज मामले की सुनवाई शनिवार को ईसी कोर्ट के विशेष न्यायाधीश की अदालत में हुई थी, जहां जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश चंद्र शर्मा ने बताया कि अदालत ने पुख्ता साक्ष्य, गवाही एवं फॉरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर सात हत्याकांड के मामले में कारोबारी के पूर्व कार चालक राहुल वर्मा को दोषी ठहराया गया है। उन्होंने बताया कि सनसनीखेज हत्याकांड में शामिल इकलौता हत्यारोपी राहुल वर्मा पर दोष सिद्ध हो जाने के बाद आज उसकी सजा पर फैसला सुनाया गया। कोर्ट ने आरोपी राहुल वर्मा को फांसी की सजा सुनाते हुए 90 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया है।
जानकारी के अनुसार घंटाघर कोतवाली क्षेत्र में 21 मई 2013 की रात घटित हु्ई सनसनीखेज घटना ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया था, जहां घंटाघर नई बस्ती मोहल्ले में रहने वाले बुजुर्ग कारोबारी सतीश गोयल और उनके पूरे परिवार की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मृतक कारोबारी के दामाद सचिन मित्तल ने कोतवाली थाने में अज्ञात बदमाशों के खिलाफ हत्याकांड का मुकदमा दर्ज कराया था। मृतकों में कारोबारी सतीश गोयल, उनकी पत्नी मंजू गोयल, पुत्र सचिन गोयल, पुत्रवधू रेखा गोयल एवं तीन पौत्र-पौत्री शामिल थे।
जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश चंद्र शर्मा एवं सहायक शासकीय अधिवक्ता संजय त्यागी ने बताया था कि 21 मई 2013 की रात घंटाघर बाजार से सटे नई बस्ती मोहल्ले में कारोबारी सतीश गोयल और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई थी। हत्याकांड के बाद शहर के व्यापारी संगठनों में जबर्दस्त रोष और आक्रोश था। वारदात के बाद शहर कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी को निलंबित कर दिया गया था। वारदात के बाद पुलिस ने विवेचना शुरू की और घटना के एक दिन बाद सनसनीखेज हत्या के आरोप में राहुल वर्मा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पुलिस ने राहुल के पास से छह हजार रुपये नकद और सोने चांदी के लाखों के जेवरात बरामद किए थे।
इस मामले में कोतवाली पुलिस ने दो दिन बाद 24 मई 2013 को हत्यारे राहुल वर्मा को पुलिस रिमांड पर लेकर हत्या में प्रयुक्त चाकू और खून से सने कपड़े भी बरामद किए थे। राहुल घटना से करीब 15 दिन पहले कारोबारी सतीश गोयल के घर से साढ़े चार लाख रुपये चोरी कर फरार हो गया था और तब से नौकरी पर नहीं आ रहा था। पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता देवराज सिंह ने बताया कि 22 मई 2013 को सतीश चंद्र गोयल की किडनी ट्रांसप्लांट होनी थी। राहुल को इसके बारे में जानकारी थी, उसे अनुमान था कि किडनी ट्रांसप्लांट के लिए घर में रखे 25 से 30 लाख रुपये मिल सकते हैं, इसी इरादे से राहुल ने 21 मई की रात वारदात को अंजाम दिया था।
राहुल वर्मा को दोषी साबित करने में फोरेंसिक रिपोर्ट बेहद अहम बनी। घर से मिले खून के सैंपल और राहुल के गमछे-जूते पर मिले खून के सैंपल मैच हो गए थे। घर में मौजूद फुट प्रिंट का राहुल के जूते से मिलान हो गया था। घटनास्थल से मिले सिगरेट के टुकड़े पर लगी लार भी राहुल की पाई गई। राहुल वर्मा का दोस्त प्रशांत श्रीवास्तव खुद इस केस में सरकारी गवाह बना गया था। सामूहिक नरसंहार से पहले राहुल ने प्रशांत से कहा था कि लूट करेंगे, जिसमें हमें 25-30 लाख रुपए मिल सकते हैं, लेकिन ऐन वक्त पर प्रशांत पलट गया और किसी काम से प्रयागराज जाने की बात कहकर उसने राहुल का साथ नहीं दिया। राहुल को सजा दिलाने में प्रशांत के इस बयान की अहम भूमिका रही। राहुल वर्मा ने सारे कत्ल एक ही चाकू से किए. सातों के शरीर पर घाव का साइज एक जैसा था. यह चाकू डासना गेट बाजार में एक दुकान से 80 रुपए में खरीदा गया था, पुलिस ने इस चाकू विक्रेता के भी बयान दर्ज किए थे।