चर्चा-ए-आमराष्ट्रीयलेटेस्ट

दो गज जमीं ना मिल सकी कूचे यार में…

  • बेदाग व्यक्तिव डा. मनमोहन पंचतत्व में विलीन
  • देश-विदेश से लोगों ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि
  • जीवित रहेंगी डा. मनमोहन सिंह की मजबूत आर्थिक नीतियां
    कमल सेखरी
    दो गज जमीं ना मिल सकी कूचे यार में। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के कई बड़े नेताओं ने केन्द्र सरकार से देररात तक अनुरोध किया कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय डा.मनमोहन सिंह की अंत्येष्टि राजधानी के राजघाट क्षेत्र में कराने की अनुमति दी जाए जहां अब से पूर्व सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के स्वर्ग सिधारने के बाद दी गई है। काफी जद्दोजहद करने के बाद भी केन्द्र सरकार ने इस प्रस्ताव पर अपनी स्वीकृति नहीं दी यह कहकर कि राजघाट क्षेत्र में कोई स्थान उपलब्ध नहीं है। केन्द्र सरकार के ऐसा कहने पर कांग्रेस ने यह तक भी कहा कि उन्हें स्वर्गीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के लिए जो भूमि शक्ति स्थल के नाम से दी गई है या स्वर्गीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम से वीर भूमि स्थल पर दी गई है, कांग्रेस उन दोनों स्थलों में से किसी एक पर भी स्वर्गीय प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को उनकी अंत्येष्टि और स्मारक बनाने के लिए जमीन देने को तैयार है। लेकिन सत्ताधारी दल ने कांग्रेस के इस अनुरोध को भी खारिज कर दिया और कहा कि डा. मनमोहन सिंह की अंत्येष्टि केवल निगम बोध घाट पर ही की जा सकती है, उनके स्मारक के लिए बाद में कोई स्थान ढूंढकर निर्धारित कर दिया जाएगा। केन्द्र सरकार के इस फैसले के बाद आज सुबह स्वर्गीय डा.मनमोहन सिंह की अंत्येष्टि निगम बोध घाट पर ही की गई। ऐसा पहली बार हुआ है कि देश के किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री के स्वर्ग सिधारने पर अंत्येष्टि निगम बोध घाट पर की गई हो क्योंकि इस स्थल पर अभी तक उस क्षेत्र के सामान्य व्यक्तियों की ही मृत्यु उपरांत अंत्येष्टि की जाती है। केन्द्र सरकार के इस फैसले से देश के उन सब लोगों को पीड़ा पहुंची है जो डा.मनमोहन सिंह को दिल से चाहते थे और उनकी आर्थिक नीतियों के कायल थे। डा. मनमोहन सिंह का निधन बृहस्पतिवार की रात नौ बजकर 51 मिनट पर दिल्ली के एम्स अस्पताल में हुआ। उनकी तीसरी बेटी के अमेरिका से देर से लौटने पर उनके पार्थिव शरीर की अंत्येष्टि आज एक बजे ही हो पाई। डा. मनमोहन सिंह के निधन से लेकर अब तक देशभर के सभी अखबारों और टीवी चैनलों ने उनके दो बार प्रधानमंत्री रहते हुए उनके द्वारा किए गए जनहित व देश हित के कार्यों की खुले दिल से सराहना की। उनके द्वारा विदेशी निवेश में लाई गई नीतियों के चलते ही देश की आर्थिक स्थितियों में जो परिवर्तन आया उसको पत्रकारों ने खुले दिल से सराहाया। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चन्द्रशेखर के प्रधानमंत्री रहते हुए भारत को मजबूरी में 45 टन सोना जापान के पास गिरवी रखना पड़ा और उसका विदेशी रिजर्व भी घटकर मात्र एक अरब करोड़ डालर पर आ गया था। उस समय डा. मनमोहन सिंह को जो देश में एक अच्छे अर्थशास्त्री के रूप में जाने जाते थे उन्हें सरकार में शामिल करके योजना आयोग का चेयरमैन बनाया गया और इसके साथ ही उन्हें रिजर्व बैंक का भी चेयरमैन मनोनीत किया गया। डा. मनमोहन सिंह ने अपने कुशल आर्थिक ज्ञान के चलते नीतियों में कई परिवर्तन किए और देश की आर्थिक स्थिति में यकायक परिवर्तन नजर आने लगा। इसी दौरान उन्हें देश का वित्त मंत्री मनोनीत कर दिया गया और उन्होंने अपना दायित्व संभालते ही देश की आर्थिक नीतियों में निजीकरण, वैश्वीकरण और लचीलापन लाकर पूरे विश्व से भारत में पैसे का निवेश कराया। उनकी इन्हीं नीतियों के चलते भारत का 45 टन सोना जो जापान में गिरवी पड़ा था वो एक साल के भीतर ही वापस आ गया और देश का विदेशी मुद्रा का कोष जो घटकर मात्र एक अरब करोड़ डालर रह गया था वो दो वर्ष के अंदर ही दो सौ अरब करोड़ तक पहुंच गया था। इसके अलावा उन्होंने कांग्रेस और यूपीए के सहयोगी दलों का पुरजोर विरोध झेलते हुए अमेरिका के साथ परमाणु संधि की जिसके लाभ हमें आज तक नजर आ रहे हैं। इसके अतिरिक्त डा. मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में मनरेगा, हर व्यक्ति अनाज का अधिकार और सूचना का अधिकार जैसी योजनाएं लाकर देश के आम आदमी को एक बड़ी राहत देने का काम किया। डा. मनमोहन सिंह अपने संपूर्ण कार्यकाल में जितनी खामोशी से काम करते रहे उनके वो काम उनके पद से हट जाने के बाद उनके उस खामोश वजूद को पुरजोरता से आंकते रहे। डा. मनमोहन सिंह इतिहास के कुछ पन्ने ही नहीं बल्कि पूरा इतिहास ही बन गए। उनके निधन के बाद से अब तक उनके सम्मान में दी जा रही श्रद्धांजलियों का जो सिलसिला शुरू हुआ वो अब तक थमा नहीं। देश के आम नागरिकों के अलावा विपक्षी दलों के राजनेताओं ने भी खुले दिल से उनके कार्यकाल की प्रशंसा की और उनकी मृत्यु को देश की सबसे बड़ी क्षति बताया। भारत से अलग भी दुनिया के कई ताकतवर देशों के शीर्ष नेताओं ने स्वर्गीय डा. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपनी भावनाएं प्रदर्शित की हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने तो उन्हें आर्थिक मामलों में अपना सलाहकार और गुरु तक बताया और कहा कि डा. मनमोहन सिंह जब बोलते थे तो पूरी दुनिया उन्हें सुनती थी। डा. मनमोहन सिंह के निधन पर पूरा देश दिल से दुखी है। ऐसा नेता भविष्य में फिर कभी भारत को मिल पाए ऐसी कामना आज पूरा देश कर रहा है।

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