- गोरखपुर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में सुपर स्पेशियलिटी का बड़ा केन्द्र बन रहा: योगी
- प्रदेश सरकार द्वारा प्रत्येक जनपद में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जा रही
- आर्यावर्त एमआरआई सेंटर के आरम्भ होने से गोरखपुर और पूर्वी उ.प्र. के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण कार्य हुआ
- पेट-सीटी स्कैन व अन्य अत्याधुनिक जांचों के लिए नहीं लगानी पड़ेगी दिल्ली, मुम्बई या बेंगलुरु की दौड़
- संस्था हो या सरकार, जन विश्वास उसके लिए बहुत बड़ी पूंजी होती है
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरखपुर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में सुपर स्पेशियलिटी का बड़ा केन्द्र बन रहा है। कभी पूर्वी उत्तर प्रदेश में इलाज के नाम पर एकमात्र बड़ा केन्द्र गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज ही था, जो काफी खराब स्थिति में था। विगत पांच वर्षों में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिटी सेवा शुरू हो गई है। गोरखपुर में एम्स संचालित हो गया है। इसके अलावा, निजी क्षेत्र में भी जांच व इलाज की तमाम सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं मिलने लगी हैं। वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा प्रत्येक जनपद में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जा रही है।
मुख्यमंत्री आज जनपद गोरखपुर में रामगढ़ताल-सर्किट हाउस रोड स्थित आर्यावर्त पेट-सीटी, गामा कैमरा एंड थ्री टी के एमआरआई सेंटर के उद्घाटन कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने आर्यावर्त एमआरआई सेंटर की करीब ढाई दशक की चिकित्सा सेवा की सराहना करते हुए कहा कि वह खुद और उनके पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज आर्यावर्त जांच के लिए आते थे। अब यह विश्वसनीय संस्था पूर्वांचल की पहली पेट-सीटी स्कैन जांच की सेवा देने वाली संस्था बन गई है। इस सेंटर के आरम्भ होने से गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। उन्होंने कहा कि पेट-सीटी स्कैन व अन्य अत्याधुनिक जांचों के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों को दिल्ली, मुम्बई या बेंगलुरु की भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि संस्था हो या सरकार, जन विश्वास उसके लिए बहुत बड़ी पूंजी होती है। डेढ़ दशक तक गुरु श्रीगोरक्षनाथ अस्पताल के मरीजों व उनके परिजनों से संवाद करके यह महसूस किया है कि एक आम नागरिक बिना किसी चीटिंग के विश्वसनीय सेवाएं-सुविधाएं चाहता है। हम सभी को जन विश्वास की यह पूंजी अर्जित करते रहने की दिशा में प्रयास करते रहना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने गुरु श्रीगोरक्षनाथ अस्पताल से जुड़े संस्मरण को साझा करते हुए बताया कि वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री बनने से पहले करीब 15 साल तक वह सप्ताह में तीन दिन इस अस्पताल में जाते थे। एक-एक बेड पर जाकर हर मरीज से उसका हालचाल जानते थे और संवाद करते थे। जिसके पास दवा नहीं होती थी, उसकी दवा की व्यवस्था की जाती। जिसे रक्त की जरूरत होती थी, उसे स्वैच्छिक रक्तदान से संग्रहीत रक्त उपलब्ध कराया जाता था। यह कोशिश थी कि पैसे के अभाव में किसी का इलाज न रुके।
इस अवसर पर आर्यावर्त एमआरआई सेंटर के चेयरमैन आरएस अग्रवाल, निदेशक समीर अग्रवाल, चैम्बर आॅफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल, अन्य चिकित्सक तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।