कमल सेखरी
हमारे देश में महिलाओं के साथ दुराचार और दरिंदगी की जो घटनाएं निरंतर हो रही हैं उससे निसंदेह पूरे देश को ही पीड़ा पहुंच रही है। महिलाओं के ऊपर हो रहे दुर्दांत अपराधों के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उसके अनुसार पूरे देश में हर एक घंटे में महिलाओं के साथ बलात्कार की तीन घटनाएं हो रही हैं। हम अभी तक ऐसा कोई कानून या माहौल नहीं बना पाए जिससे ऐसी हैवानियत करने वाले दरिंदों के दिलोदिमाग में कोई खौफ पैदा हो सके। इस तरह का माहौल और खौफ पैदा न हो पाने का मुख्य कारण है कि दरिंदगी की किसी भी बड़ी घटना को लेकर हम उसे संजीदगी से देखने की बजाए उस पर राजनीति करना शुरू कर देते हैं। जिसकी वजह से देश और व्यवस्था का ध्यान हैवानियत की उस घटना से हटकर उस पर की जा रही राजनीति और राजनेताओं के आपसी विरोधी बयानों पर चला जाता है। अभी हाल ही में कोलकाता के एक मेडिकल कालेज में महिला डाक्टर के साथ दरिंदगी की जो घटना घटित हुई जिसमें उस युवा महिला डॉक्टर के शरीर को बुरी तरह से नोंचकर उसके साथ बलपूर्वक दुराचार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। हैवानियत की इस घटना को जिस तरह से अंजाम दिया गया उससे निसंदेह पूरे देश को ही काफी पीड़ा पहुंची है। इसी तरह मुंबई शहर के थाना क्षेत्र में जो महाराष्टÑ के मुख्यमंत्री के निवास का क्षेत्र है वहां छोटे बच्चों के एक प्राइमरी स्कूल में तीन साल की दो मासूम बच्चियों के साथ स्कूल परिसर में ही जबरन शारीरिक शोषण किया गया। तीन साल की इन दो बच्चियों के साथ जिस तरह से बलपूर्वक कुकर्म हुआ उससे भी पूरे देश में लोग सिहर उठे। महिला डाक्टर के साथ हुए दुराचार और दो मासूम बच्चियों के साथ की गई दरिंदगी की घटनाओं पर हमारे राजनीतिक दलों ने और जिम्मेदार राजनेताओं ने जिस तरह की बयानबाजी एक दूसरे की सरकारों को दोषी ठहराते हुए की उससे भी देश शर्मशार हुआ है। हैवानियत की घटनाओं पर संजीदा प्रतिक्रिया करने की बजाये जिस तरह से आरोप-प्रत्यारोप की अश्लीलता मीडिया के माध्यम से परोसी गई उससे घटनाओं की संजीदगी पर तो बुरा असर पड़ा ही साथ घटनाओं पर होने वाली किसी भी तरह की कठोर कार्रवाई किए जाने की प्रक्रिया भी प्रभावित हुई। सड़कों पर उतरकर उग्र प्रदर्शन करना, वाहनों की तोड़फोड़ करना, पुलिस पर पथराव करना, हाथों में डंडे और लोहे की छड़ें लेकर पुलिसकर्मियों पर हमले करना, बाजारों को जबरन बंद कराना, रेल ट्रैक पर बैठकर रेलगाड़ियों को रोकने जैसी हरकतें करके हम क्या संदेश देना चाहते हैं। जिन मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी बरती गई और जिस महिला डाक्टर के साथ हैवानियत बरतकर बलात्कार हुआ और उसकी हत्या भी कर दी गई, उनके प्रति हमने अपनी संवेदनशीलता प्रकट करने की बजाये जो अशोभनीय बर्ताव का प्रदर्शन किया उससे उन मासूमों के गहरे घावों पर हमने कैसी मरहम लगाई?
हमारे देश की राजनीति इस तरह के संवेदनशील मामलों में भी इतने निम्न स्तर पर उतर आएगी ऐसी कल्पना पहले कभी नहीं की गई। इलेक्ट्रानिक मीडिया के कुछ नामी चैनलों ने इन संवेदनशील मामलों पर संजीदगी बरतने की जगह अपने राजनीतिक जुड़ावों के चलते जो अश्लीलता बरती उससे भी देश को कष्ट पहुंचा है। कोलकाता के मामले में उच्च न्यायालय के आदेश पर 4 दिन बाद ही मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। हालांकि सीबीआई तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी अभी तक आपराधिक घटना के एकमात्र नामजद अपराधी के अलावा किसी दूसरे को अभी तक नहीं पकड़ पाई। सीबीआई जांच की दिशा अपराध की इस घटना से अलग हटकर मेडिकल कालेज में चल रहे भ्रष्टाचार की ओर चली गई और उस भ्रष्टाचार को कैसे ममता सरकार से जोड़ा जा सके इस पर केन्द्रित हो गई। हमारे देश की मौजूदा केन्द्र सरकार को इस तरह के पीड़ाजनक संजीदा मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए। ऐसे मामलों में राजनीति ना करके उसे निष्पक्षता से सुलझाना चाहिए और ऐसे दुर्दांत अपराधियों को इतनी कठोर सजा देनी चाहिए जो आने वाले दिनों में देश में मिसाल बने और ऐसे हैवान अपराधियों के दिलों में ऐसा खौफ पैदा कर दें कि वो ऐसी दरिंदगी करने से पहले सौ बार पहुंचे।