कमल सेखरी
बदले बदले सभी सिपहसालार नजर आते हैं, घर की बर्बादी के आसार नजर आते हैं। कांग्रेस मौजूदा परिस्थितियों में जिन हालातों से गुजर रही है, उससे तो यही लगता है कि बहुत जल्दी देश की सबसे पुरानी और किसी समय सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी माने जाने वाली यह कांग्रेस जल्द ही बिखर जाएगी और टुकड़ों में खंडित हो जाएगी। कोई दिन ऐसा नहीं बीत रहा जिस दिन कांग्रेस के अंदर से कोई बागी स्वर मुखर होकर सामने न आ रहा हो। कांग्रेस के पुराने नेताओं ने माना कुछ अपने निजी स्वार्थों के चलते कांग्रेस को छोड़कर अन्य दूसरे दलों में जा मिले लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि पुराने कई बड़े नेताओं में आन्तरिक आक्रोश है और वो मौजूदा नेतृत्व को लेकर मन से दुखी भी हैं। पिछले कुछ समय से विभिन्न राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली निरंतर हार को लेकर भी कांग्रेस के अंदर काफी हताशा है और पंजाब व उत्तराखंड जहां कांग्रेस काफी मजबूत स्थिति में आंकी जाती थी वहां मिली एकतरफा शिकस्त ने इन बड़े नेताओं के अंदर उस निराशा को और अधिक बढ़ा दिया है। कांग्रेस के कई नामी दिग्गज नेता अलग-अलग सार्वजनिक मंचों पर जो कहते सुनाई दे रहे हैं उससे यह अहसास खुलकर सामने आता है कि कांग्रेस की आधारशिला जो इन पुराने बड़े नेताओं के साथ जुड़ी थी वो तेजी से हिल रही है। जो लोग कई दशकों से कांग्रेस के साथ जुड़े हैं और यह कहते भी नहीं थकते कि उनकी नसों में बह रहे खून की हर बूंद कांगे्रस में आस्था रखती है और वो अपने आखिरी सांस तक कांग्रेस का नाम लेते हुए ही अपने शरीरों को छोड़ गए। लेकिन पिछले कुछ दिनों से इन प्रबल आस्थाओं से जुड़े पुराने दिग्गज कांग्रेसियों के स्वर भी बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। इनमें से अधिकांश यह जानना चाहते हैं कि पिछले दिनों अलग-अलग राज्यों में जो कांग्रेस की बुरी तरह से शिकस्त हुई उसका जिम्मेदार कौन है। देश की जनता में कांग्रेस के प्रति हर दिन गिरती साख के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और ऐसे क्या कारण हैं कि इतने बड़े राजनीतिक दल के नेतृत्व का दायित्व किन्हीं ऐसे हाथों में नहीं है जो मजबूती से पार्टी को लेकर आगे लेकर चल सके और आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी का विकल्प बनकर देश के सामने आ सके।
अभी कुछ दिन पहले ही पुराने कांग्रेसी नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पत्रकार आशुतोष गुप्ता के साथ एक खास बातचीत में बड़े खुले शब्दों में कहा कि कांग्रेस को नेतÞृत्व में तुरंत परिवर्तन करना चाहिए। पार्टी की बागडोर मजबूत और अनुभवी हाथों में सौंपी जानी चाहिए। पार्टी में होने वाले हर आन्तरिक विरोध को स्वस्थ आलोचना के रूप में लिया जाना चाहिए और पार्टी की जो हिन्दू विरोधी छवि बन गई है उसको भी सुधारा जाना चाहिए। प्रमोद कृष्णम अपने युवा काल से ही कांग्रेस के साथ जुड़े हैं वो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कमेटी के महामंत्री भी रह चुके हैं और उन्होंने पार्टी के लिए पिछले तीन लोकसभा चुनाव भी लड़े हैं। प्रमोद कृष्णम का कहना है कि इस समय जो सोच उनकी बन रही है वो सोच कांग्रेस के अधिकांश पुराने बड़े नेताओं की बनी हुई है और अगर इसमें जल्द ही कोई सुधार नहीं किया गया तो कांग्रेस में एक बड़ा विस्फोट होगा और पुराने कांग्रेसी मौजूदा नेतृत्व से मुंह मोड़कर अन्य कोई रास्ता भी ढूंढ सकते हैं।
प्रमोद कृष्णम जैसी सोच इस समय कई बड़े कांग्रेसी नेताओं की बन चुकी है और वो सब एकमत से यह मन बना रहे हैं कि या तो कांग्रेस में पूरी तरह से बदलाव किया जाए नहीं तो कांग्रेस अपना पूरा अस्तित्व खो देगी। पुराने दिग्गज कांग्रेसियों के बदलते इन स्वरों से स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस के सिपहसालार बदल रहे हैं और कांग्रेस की बर्बादी के आसार नजर आ रहे हैं।