कमल सेखरी
उड़ते पंजाब के उड़ते सियासी रंग गिरगिट की तरह रह रहकर रंग बदल रहे हैं। 50 साल कांग्रेस में रहे कैप्टन अमरेन्द्र सिंह मजबूरी में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर जब लौटे तो यही कह रहे थे कि मैंने मजबूरी में मुख्यमंत्री पद छोड़ा है लेकिन कांग्रेस नहीं छोड़ी है। कैप्टन ने इतना भी कहा कि मेरा 50 साल का रिश्ता है वो यूं ही खत्म नहीं कर सकता। लेकिन कांग्रेस का यह बूढ़ा सिपाही कल शाम भाजपा के मोहजाल में फंसकर देश के गृहमंत्री व राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह के दरवाजे जा खड़े हुए। कांग्रेस से हताश हो पुरानी वफादारी को दरकिनार कर भाजपा की दहलीज में दाखिल हुए कैप्टन अमरेन्द्र सिंह 45 मिनट तक अमित शाह से बात करते रहे। अब वो क्या बात थी उसके पत्ते जल्द ही खुलने वाले हैं जब कैप्टन अमरेन्द्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आजकल में मिलेंगे। अमित शाह से हुई इस बैठक से पहले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री को यह खबर मिल चुकी थी कि कांग्रेस में उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने वाला उनका नंबर एक दुश्मन नवजोत सिंह सिद्धू भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ चुका है और जल्द ही वो कांग्रेस से भी बाहर हो सकता है। यह खबर मिलने पर भी कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने अपने पांव वापस नहीं खींचे और वो भाजपा में कुछ अधिक मीठा पाने की जिज्ञासा में आगे बढ़ गए और भाजपा में शामिल होने की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए। लंबे समय से भगोड़ा कहलाए जाने वाले नवजोत सिंह सिद्Ñधू ने भी एक बार फिर से भगोड़ा होने की अपनी पहचान पर मुहर लगा दी। सिद्धू पहले इंग्लैंड से क्रिकेट मैच बीच में छोड़कर भाग चुके हैं, टीवी चैनल से कॉमेडी सर्कस का शो बीच में छोड़कर भागे हैं, भाजपा की राज्यसभा की सदस्यता को भी बीच में छोड़कर भागने, पंजाब सरकार में मंत्री पद बीच में ही छोड़कर खिसक लेने और अब दो महीने के अंदर ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़कर भाग खड़े होना उनके खाते में जुड़ गया। सिद्धू की यही कटी पतंग अब किस हवा के साथ बहकर किस दल के हाथ लगेगी इसका अनुमान लगा पाना बड़ा मुश्किल है। अब उनके पास शायद अपना दल बनाकर राजनीति करने के अलावा और कोई विकल्प बचा ही नहीं है। उड़ते पंजाब के बदलते रंगों के बीच सबसे अधिक अचंभा तो इस खबर ने पहुंचाया है कि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की पत्नी कैप्टन साहब के कांग्रेस से बगावत के स्वर निकलने के बाद परमिंदर कौर अपना पति धर्म छोड़ प्रदेश कांग्रेस की बागडोर संभाल सकती हैं। यह अटकलें चल रही हैं कि उन्हें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। वहीं कांग्रेस की सियासी गर्माहट के बीच यह खबरें भी निकलकर आ रही हैं कि अगर कैप्टन अमरेन्द्र भाजपा में शामिल हुए तो कांग्रेस के कई पुराने दिग्गज नेता भी उनके साथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। 70 वर्ष आयु से अधिक के ये दिग्गज नेता अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में अगर भाजपा की चलती गाड़ी में सवार हुए तो इन्हें सबको ही केन्द्रीय मंत्रीमंडल में कैबिनेट मिनिस्टर पद दिया जा सकता है। 4 माह बाद पंजाब में चुनावी बिगुल बजने वाला है और वहां मुख्यमंत्री का पद संभाले अनुभवहीन नए मुख्यमंत्री किस तरह से बिगड़ी परिस्थितियों को काबू में ला पाएंगे यह एक बड़ा चुनौतीपूर्ण और कठिन काम होगा। बताया जा रहा है कि प्रदेश में कई तरह की सुविधाओं और उपहारों की झड़ी लगाकर जनता में रेवड़ी बांटने का काम किया जाना शुरू हो गया है।