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दिल्ली में दो ‘बंदरों’ की लड़ाई में ‘बिल्ली’ की मौज!

कमल सेखरी
एक बहुत पुरानी और रोचक कहानी है कि दो बंदरों की लड़ाई में बिल्ली की मौज आ जाती है। कहानी में कहा गया है कि दो बंदरों के हाथ एक रोटी लग गई और उसको बराबर बांटने में दोनों में लड़ाई हो गई, इतने में एक बिल्ली आई और उसने लड़ाई का कारण पूछा और कहा कि तुम्हारी रोटी को मैं बराबर बांट देती हूं। बिल्ली ने रोटी के दो टुकड़े किए लेकिन दोनों बंदर संतुष्ट नहीं हुए। एक टुकड़ा छोटा, एक टुकड़ा बड़ा, इस बात पर ही दोनों बंदरों में सहमति नहीं बन पाई और तेज चालाक बिल्ली दोनों टुकड़ों को बार-बार काटकर उन्हें दिखाती रही और उनके संतुष्ट न होने पर अपना हिस्सा बीच में काटती रही। ऐसा ही कुछ दिल्ली के विधानसभा चुनावों में होता नजर आ रहा है। आम आदमी पार्टी और भाजपा उन दो बंदरों की तरह आपस में लड़ रहे हैं, इनके बीच हर रोज खींचातानी हो रही है, आरोप-प्रत्यारोप लगा लगाकर दोनों एक दूसरे को गालियां तक देने पर उतर आए हैं। इन दोनों के झगड़ों के बीच कांग्रेस खामोश बिल्ली की तरह बड़ी चालाकी से अपना काम कर रही है और इन दोनों की लड़ाई के बीच चुपचाप अपना रास्ता निकाल रही है। पिछले तीस वर्षों में दिल्ली के विधानसभा में चुनाव में कुछ ऐसा बना रहा है कि भाजपा हर बार मतदान में 32 से 38 प्रतिशत वोट ले पा रही है जबकि पिछले दिल्ली के दो चुनावों में आम आदमी पार्टी 52 से 55 फीसदी वोट लेती आ रही है। हालांकि इन पिछले दो चुनावों में कांग्रेस कोई सीट नहीं निकाल पाई और पिछले चुनाव में तो उसका वोट प्रतिशत भी घटकर मात्र 4.5 प्रतिशत रह गया। पिछले एक सप्ताह से दिल्ली के चुनावी जंग में आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच जो पोस्टर युद्ध चल रहा है और उनमें जिस तरह के असंतुलित भाषा में एक दूसरे पर आरोप लगाए जा रहे हैं वो दिल्ली की जनता को अच्छे नहीं लग रहे हैं। इतना ही नहीं हर रोज प्रेस कान्फ्रेंस करके और मीडिया में जा जाकर ये दोनों पार्टियां एक दूसरे पर अश्लीलता की सभी सीमाएं लांघकर जो आरोप लगा रही हैं उससे भी दिल्ली शर्मसार हो रही है। ऐसे में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व चुप्पी साधकर इस तरह के अश्लील माहौल से किनारा किए बैठा है और उसके कार्यकर्ता खामोशी से घर-घर जाकर अपने संपर्क बढ़ाकर मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने का प्रयास कर रहे हैं। आज पहली बार कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी दिल्ली में चुनावी सभा कर रहे हैं और उस सभा में कांग्रेस जो घोषणाएं करने जा रही है वो दिल्ली वालों के लिए अधिक उपयोगी और आकर्षित करने वाली हैं। कांग्रेस ने अपने सभी बड़ी नेताओं को यह निर्देश भी दे दिए हैं कि वो अपने किसी भी बयान में निम्न स्तर या असंतुलित भाषा का इस्तेमाल नहीं करेंगे। कांग्रेस को लगता है कि वो इन दो पार्टियों के बीच चल रही आचरण रहित जंग में अपना रास्ता बीच में चुपचाप निकाल सकती है या फिर पहले से बेहतर प्रदर्शन करके एक मजबूत स्थिति बना सकती है। दिल्ली के चुनावों में शेष बचे तीन सप्ताह में क्या-क्या और होगा वो हम सबको सकते में डालेगा लेकिन कांग्रेस की नीति जो बिना अधिक बोले अपना रास्ता निकालने की चल रही है वो इस चुनाव में अपना कुछ अलग असर दिखा सकती है। आम आदमी पार्टी जो कांग्रेस का जनाधार लेकर ही सत्ता में आई है इस बार कांग्रेस उसे एक बड़ा झटका भी दे सकती है। ऐसे में अगर भाजपा अपना वोट प्रतिशत 42 फीसदी से ऊपर ले जाती है तो दिल्ली के चुनावी परिणाम चौंकाने वाले भी हो सकते हैं। ऐसी भी संभावना हो सकती है कि दिल्ली के परिणाम त्रिशंकु जैसे हो जाएं, ऐसे में इंडिया गठबंधन से अलग हुए ये दो दल आम आदमी पार्टी और कांग्रेस फिर से हाथ मिलाकर भाजपा को सत्ता में आने से रोक सकते हैं।

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