चर्चा-ए-आमस्लाइडर
जातिगत जनगणना: क्या भाजपा पड़ सकती है संकट में ?

- भाजपा-आरएसएस के बयानों गहराया विरोधाभास
- जातिगत जनगणना से हो सकता है हिन्दू समाज में बिखराव
- बिहार चुनाव में भी भाजपा पर पड़ सकता है असर
कमल सेखरी
हिन्दुस्तान एक सेकुलर मुल्क है या फिर एक हिन्दू राष्ट्र है या हिन्दू राष्ट्र की ओर तेजी से बढ़ने के संकेत दे रहा है। ये सभी सवाल इन दिनों भाजपा के कुछ बड़े नेताओं और आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत के आजकल दिये जा रहे बयानों से निकलकर आ रहे हैं। बीते दिन आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत जो पहले भी हिन्दुस्तान को हिन्दू राष्ट्र बनाने के प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष बयान देते चले आ रहे हैं उन्होंने अब खुलकर यह कहना शुरू कर दिया है कि हिन्दुस्तान एक हिन्दू राष्ट्र है और ऐसे में जातिय जनगणना कराने के कोई मायने नहीं रह जाते। श्री भागवत का यह बयान ठीक उस दिन आया जिस दिन देश के प्रधानमंत्री एनडीए के सभी घटकों के मुखियाओं और डबल इंजन सरकार के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठे दिल्ली में इस विषय पर विचार कर रहे थे कि जातिगत जनगणना को कब, कैसे और कौन सी दिशा देकर आगे बढ़ाया जाए। क्योंकि प्रधानमंत्री अब स्वयं कई मंचों से सार्वजनिक रूप से यह घोषणा कर चुके हैं कि उनकी सरकार जल्द ही देश में जातिगत जनगणना पूरा कराने का काम करेगी। उन्होंने इस दिशा में दो कदम और आगे बढ़ते हुए यह भी जोड़ दिया कि इस बार की जातिगत जनगणना में मुस्लिम समुदाये के लोगों को भी शामिल किया जाए। विपक्षी दलों का कहना है कि प्रधानमंत्री इस गलतफहमी के शिकार हो गए कि जातिगत जनगणना में भाजपा हिन्दू मतदाताओं में जो भी असमानता बनेगी उसे हिन्दुओं को एकजुट करने के नाम पर पहले सा ही एकजुट बनाकर ही रखने की कोशिश करेंगे और दूसरी ओर मुस्लिम समुदाये में जो एकजुटता इस्लाम के नाम से चुनावों में बनती नजर आती है उसे मुस्लिम जातिगत जनगणना में बिखराव लाकर उसे तोड़ने की कोशिश की जाएगी। लेकिन मुस्लिम समुदाये में पहलगाम की घटना को लेकर और वक्फ बोर्ड बिल लाने के नाम पर जो एकजुटता पूरे देश में नजर आई उससे शायद आरएसएस संदेह में आ गया यह सोचकर कि जातिगत जनगणना से मुस्लिम समाज तो नहीं टूट पाएगा परंतु जातिगत जनगणना के बाद हिन्दू समाज में बिखराव की स्थिति बनने की संभावना अपेक्षाकृत अधिक होगी। लिहाजा भाजपा ने जातिगत जनगणना कराने की घोषणा मजबूरी में कर तो दी क्योंकि वो विपक्षियों के हाथ से सबसे बड़ा यह हथियार छीनना चाहती है। अब जो आपरेशन सिंदूर का स्पष्टीकरण विश्व के अलग-अलग देशों को बताने के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजे गए हैं उन्हें वहां कहना पड़ रहा है कि भारत एक सेकुलर देश है, यहां हिन्दू-मुस्लिम, सिख, ईसाई के बीच कोई मतभेद नहीं किया जाता है। अब भाजपा के इन बयानों के बीच आरएसएस के मुखिया का यह बयान आना कि भारत हिन्दू राष्ट्र है और यहां के सभी हिन्दुओं को एकजुट बनकर रहना ही चाहिए। लिहाजा मजबूरी में फंसी भाजपा के शीर्ष नेताओं के बयानों और आरएसएस के मुखिया के बयानों में एक बड़ा विरोधाभास फिलहाल दिखाई दे रहा है। अब देश के अवाम को भाजपा की माननी चाहिए या आरएसएस पर विश्वास करना चाहिए। अगले कुछ दिन इन्हीं उठ रहे सवालों को लेकर देश में विपक्ष के बड़े मुददे बनने जा रहे हैं और ऐसे में भाजपा गहरे संकट में फंसती नजर आ रही है। हो सकता है इसका असर भाजपा को बिहार चुनाव में भी झेलना पड़े।