गाजियाबाद। रालोद ने इस वर्ष सरकार द्वारा गन्ना मूल्य न बढ़ाये जाने को सरकार का किसान विरोधी कदम बताया है। रालोद के प्रदेश प्रवक्ता चौधरी अजय वीर सिंह एडवोकेट ने कहा कि इस समय किसान महंगाई के कारण बर्बादी के कगार पर है और सरकार ने गन्ने का मूल्य न बढ़ाकर उसकी कमर तोड़ने का काम किया है। पिछले साल से महंगाई अपने चरम पर है। किसान की फसल की लागत डेढ़ गुणा अधिक आ रही है। खेती में काम आने वाली हर वस्तु की कीमत लगातार बढ़ी है। चाहे रासायनिक खाद हो, बिजली हो, कीटनाशक हो, बीज हो, खेती में लगने वाली मजदूरी हो सब पिछले एक साल में और महंगे हुए हैं। पिछले तीन चार माह हो गये चीनी मिलों को चले हुए लेकिन अब तक सरकार ने गन्ने का मूल्य घोषित नहीं किया था। भाजपा सरकार ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि सन 2022 तक किसान की आय दोगुनी कर देंगे मगर किसान को उसकी फसल में आई लागत भी नहीं मिल रही है। क्या इस प्रकार गन्ने के मूल्य में वृद्धि न करके भाजपा सरकार किसान की आय दोगुनी करना चाहती है । रालोद के कार्यकर्ता व प्रदेश के किसान मुख्यमंत्री को पिछले दो महीने से पत्र भेजकर गन्ने के मूल्य घोषित करने की मांग कर रहे थे वो सरकार से मांग कर रहे थे कि आज की महंगाई को व किसान की फसल की लागत को देखते हुए गन्ने का मूल्य चार सौ पचास रुपए प्रति क्विंटल की घोषणा सरकार करे मगर अब सरकार ने गन्ने के मूल्य में कोई बढ़ोतरी ना करके किसान विरोधी होने का परिचय दिया है। सरकार के इस निर्णय से लगता है कि देश के अन्नदाता की सरकार को कोई परवाह नहीं है। लगता है कि सरकार ने चीनी मिलों के मालिकों के सामने घुटने टेक दिए हैं। रालोद सरकार से मांग करता कि सरकार केबिनेट के गन्ना मूल्य न बढ़ाये जाने के फैसले पर पुनर्विचार करे तथा गन्ने का मूल्य चार सौ पचास रुपए प्रति क्विंटल की घोषणा करे। ऐसा ना करने पर रालोद प्रदेश में किसानों के साथ मिलकर बड़ा आन्दोलन करेगा।