- क्रय एजेंसी के रूप में भी काम करें मंडी परिषद
- एफपीओ का लें सहयोग
- जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा पर बनेंगे नए हाट
- पैठ और आधुनिक मंडियां, सीमावर्ती क्षेत्रों को प्राथमिकता
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद के संचालक मण्डल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद द्वारा किसानों के हित को ध्यान रखते हुए किये जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। मंडी शुल्क को न्यूनतम करने के बाद भी राजस्व से संग्रह में मंडियों का अच्छा योगदान है। पिछले वित्तीय वर्ष में जहां 614 करोड़ रुपये की आय हुई थी, वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में 361 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रहीत हो चुका है। हमें इस वर्ष 1500 करोड़ रुपये संग्रह के लक्ष्य के साथ काम करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की सुविधा के दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा बड़ी संख्या में ग्रामीण हाट पैठ और आधुनिक किसान मंडियों का निर्माण कराया गया है। क्षेत्रीय जरूरतों के अनुसार नए हाट पैठ और किसान मंडियों का निर्माण कराया जाना चाहिए। अंतर्राज्यीय/अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर नई मंडियों के लिए बहुत संभावनाएं हैं। हमें इनका लाभ लेना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नए हाट पैठ और आधुनिक मंडियों की स्थापना के संबंध में निर्णय से पहले भूमि की उपलब्धता जरूर सुनिश्चित करायें। जनप्रतिनिधियों से प्रस्ताव लें, जहां जनप्रतिनिधि भूमि उपलब्ध कराएं, वहां प्राथमिकता के साथ हाट पैठ और आधुनिक किसान मंडी स्थापित करायी जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी मण्डल मुख्यालयों पर टेस्टिंग लैब स्थापित करायी जाए। यहां बीज और जैविक प्रोडक्ट के सर्टिफिकेशन की कार्यवाही हो सकेगी। कृषि विश्वविद्यालयों की प्रयोगशालाओं को और साधन संपन्न व उन्नत किया जाए। कृषि विज्ञान केंद्रों पर भी टेस्टिंग लैब स्थापित करने के प्रयास हों। सरकार प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए नियोजित प्रयास कर रही है। इस प्रकार हम अपने प्रदेश को ह्यजैविक प्रदेशह्ण के रूप में विकसित करने में सफल हो सकेंगे। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में केंद्र व राज्य सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का पूरा लाभ देने के लिए संकल्पित है। विगत 5 वर्षों में खाद्यान्न खरीद में नए रिकॉर्ड भी बने हैं। इस क्रम में यह जरूरी है कि मंडी समिति/मंडी परिषद क्रय एजेंसी के रूप में भी कार्य करे। इस कार्य में जरूरी मानव संसाधन की पूर्ति के लिए एफपीओ को जोड़ा जाना चाहिए। मंडियों में प्रकाश की समुचित व्यवस्था हो। यहां बैठने के लिए अच्छी सुविधा हो। भोजनालय/कैंटीन को और व्यवस्थित किये जाने की आवश्यकता हो। भोजन का मेन्यू भले ही छोटा हो, लेकिन भोजन स्वादिष्ट और गुणवत्तापूर्ण हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप प्रदेश में ई-मंडी का क्रियान्वयन सभी मंडियों में किया गया है। इसके तहत व्यापारियों से कतिपय शुल्क प्राप्ति के सम्बन्ध में ई-मंडी के अंतर्गत ई-पॉस के माध्यम से रसीद जारी की जाए। ई-पॉस के क्रियान्वयन से दैनिक रूप से प्राप्त होने वाले शुल्क की जानकारी, यूजर चार्ज देयताओं की जानकारी सुलभ होगी। व्यापारियों को तत्काल पर्चियां मिल सकेंगी और मंडियों के संचालन में पारदर्शिता बढ़ेगी। मंडी परिषद की सहायता से कृषि विश्वविद्यालयों में छात्रावासों का निर्माण कराया जाए। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विभिन्न जनपदों में कृषि उत्पादन मंडी परिषद की भूमि/भवन निष्प्रयोज्य हैं। इस भूमि/भवन के व्यवस्थित इस्तेमाल के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जाए। इस प्रकार परिषद अपनी आय का एक नवीन विकल्प भी सृजित कर सकता है। उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मंडी परिषद में समूह घ से ग में पदोन्नति के लिए शासन में प्रचलित नियमावली को लागू किया जाए। मंडी समितियों के सुचारू क्रियान्वयन के लिए आशुलिपिक संवर्ग की पदोन्नति की संरचना में सुधार किया जाना आवश्यक है। इस दिशा में उचित कार्यवाही की जाए।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि वर्तमान में प्रचलित नियमों के अनुसार मंडी परिषद में पंजीकृत ठेकेदार द्वारा ही निविदाओं में प्रतिभाग करने की व्यवस्था है। व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए अन्य सरकारी विभागों में पंजीकृत फर्म/ठेकेदारों को निर्धारित निविदा सीमा के अंतर्गत अवसर प्रदान किया जाए।