गाजियाबाद। रक्षाबंधन के अवसर पर नोएडा सेक्टर 46 स्थित ब्रह्मा कुमारीज केंद्र ने गार्डनिया ग्लोरी क्लब, सेक्टर 46 में एक भव्य और विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में शहर की प्रमुख हस्तियों के साथ-साथ सेक्टर 45, 46, 47, 48, 51, 15 और अन्य क्षेत्रों से 300 से अधिक लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में एस.के. श्रीवास्तव, पूर्व चेयरमैन, आॅयल इंडिया लिमिटेड ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। विशिष्ट अतिथियों में पूर्व आईएएस और पूर्व प्रमुख सचिव आर.के. सिंह, सेवानिवृत्त प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. रविंद्र जैन, डॉ. बी.पी. त्यागी, पूर्व निदेशक आईओसी और गेल जॉइंट वेंचर पंकज माथुर और प्रमुख आयकर वकील अरुण कुंद्रा शामिल थे। वहीं ब्रह्मा कुमारीज की ओर से बीके सोनिका, बीके रितु, बीके रेनू, बीके वर्निका और वरिष्ठ राजयोगिनी शिक्षिका बीके कीर्ति ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया। मुख्य अतिथि एस.के. श्रीवास्तव ने रक्षाबंधन के महत्व पर जोर देते हुए दिव्य सुरक्षा, कर्तव्य और ईश्वर और भक्तों के बीच के बंधन के सिद्धांतों की चर्चा की, जैसा कि प्राचीन ग्रंथों में वर्णित है। उन्होंने लॉर्ड टेनीसन के उद्धरण का हवाला देते हुए कहा कि स्वयं की श्रद्धा, आत्मज्ञान, आत्म-नियंत्रण। ये तीन ही जीवन को सर्वोच्च शक्ति की ओर ले जाते हैं।ह्व उन्होंने कहा कि वास्तविक शक्ति और जीवन पर नियंत्रण , आत्म के गहरे समझ और स्वीकृति से आता है, जिसमें विचारों और कार्यों को नियंत्रित करने का अनुशासन शामिल है। प्रसिद्ध ईनएनटी विशेषज्ञ डॉ. बीपी त्यागी ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बताया कि ओम का कंपन पारासंपैथेटिक नर्वस सिस्टम को सक्रिय करता है, मस्तिष्क के फ्रंटल कोर्टेक्स को विकसित करता है जिससे शांति मिलती है। उन्होंने लोगों को सोते समय मोबाइल फोन के उपयोग से दुष्परिणामों के बारे में भी चेतावनी दी। कार्यक्रम का समापन सामुदायिक भोजन और सभी के लिए प्रसाद के वितरण के साथ हुआ। ब्रह्माकुमारी बहनों ने सभी को राखी बांधी और शुभकामनाएं दीं।
राज योग ध्यान इस प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण उपकरण है : बीके सोनिका
बीके सोनिका और बीके वर्निका ने एक संवादात्मक सत्र में आन्तरिक शक्तियों को पुन: प्राप्त करने पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आत्मा की सच्ची पहचान, जो शरीर और इसके बंधनों से परे है, आत्म-विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह समझ व्यक्तिगत सशक्तिकरण को बढ़ावा देती है और समाजिक परिवर्तन की दिशा में मार्गदर्शन करती है। राज योग ध्यान इस प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो व्यक्तियों को उनकी आंतरिक शक्ति से जोड़ता है और सहनशीलता, सहयोग, और विवेक जैसे गुणों को विकसित करने में सहायता करता है। आंतरिक शक्तियों को विकसित करके, व्यक्ति जीवन की समस्याओं को अधिक प्रभावी ढंग से हल कर सकता है।
रक्षाबंधन सभी आत्माओं के बीच पवित्रता और प्रेम के बंधन का प्रतीक है : बीके कीर्ति
राजयोगिनी बीके कीर्ति ने रक्षाबंधन के आध्यात्मिक महत्व को स्पष्ट करते हुए बताया कि यह पर्व केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है। बल्कि यह सभी आत्माओं के बीच पवित्रता और प्रेम के बंधन का प्रतीक है। राखी बांधना शुद्धता की प्रतिज्ञा को दशार्ता है और यह एक दिव्य परिवार के रूप में सभी को देखने की प्रेरणा देता है। तिलक लगाने की प्रक्रिया अपने को शरीर ही समझने की सोच पर विजय का प्रतीक है, जो व्यक्तियों को उनके दिव्य स्वरूप के रूप में उनकी सही पहचान को समझने में मदद करता है। राखी बांधना पवित्रता की प्रतिज्ञा के रूप में कार्य करता है, जो सभी संबंधों में उच्च विचारों, शब्दों, और क्रियाओं को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। अंतत:, रक्षाबंधन व्यक्तियों को यह देखने के लिए प्रेरित करता है कि सभी लोग उनके आध्यात्मिक परिवार का हिस्सा हैं, जिससे समाज में प्रेम, दया और सकारात्मक गुणों को प्रोत्साहन मिलता है। उन्होंने सभी को ध्यान भी कराया और ईश्वर की प्रेमपूर्ण सुरक्षा को अनुभव करने के तरीके को समझाया।