- मेरिनो इंडस्ट्रीज के ट्रस्ट ने 24 क्षय रोगियों को पोषाहार उपलब्ध कराया
- श्री प्रेमचंद मेमोरियल ट्रस्ट जरूरतमंदों को उपचार भी कराता है उपलब्ध
हापुड़। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अधिक से अधिक क्षय रोगियों को बेहतर पोषण और देखभाल के उद्देश्य से गोद लिए जाने का सिलसिला जारी है। मेरिनो इंडस्ट्रीज से संबद्ध प्रेमचंद मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से संचालित अस्पताल में एक संक्षिप्त कार्यक्रम के दौरान ट्रस्ट की ओर से 24 क्षय रोगियों को गोद लिया गया। ट्रस्ट ने इन रोगियों को पोषाहार वितरित किया और उपचार जारी रहने तक उनकी देखभाल व पोषाहार उपलब्ध कराने का जिम्मा लिया। इस मौके पर जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने कहा रोगी को बेहतर पोषण मिलने से टीबी को मात देने में मदद में मदद मिलती है।
डीटीओ ने इस मौके पर क्षय रोग के लक्षणों बारे में भी विस्तार से जानकारी दी और ट्रस्ट की ओर संचालित अस्पताल के चिकित्सकों से अपील की कि वह अपनी ओपीडी के दौरान मरीजों की स्क्रीनिंग क्षय रोग की पहचान के लिए भी करते रहें ताकि रोगी की प्रांरभिक अवस्था में पहचान कर उपचार शुरू कराया जा सके। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद क्षय रोगियों से कहा कि किसी भी हाल में चिकित्सक की राय के बिना टीबी की दवा खाना न छोड़ें। टीबी का उपचार बीच में छोड़ने पर मल्टी ड्रग रेसिस्ट (एमडीआर) टीबी होने का खतरा रहता है। अधिकतर मामलों में अच्छे खानपान और नियमित दवा खाने से छह माह में ही टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है।
इस मौके पर जिला पीपीएम कोर्डिनेटर सुशील चौधरी ने कहा संभावित क्षय रोगियों की जांच के लिए क्षय रोग विभाग सदैव तत्पर है। क्षय रोग उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए क्षय रोगियों की जल्दी पहचान जरूरी है। पहचान होने में देरी पर उपचार देर से शुरू होता है और इस बीच वह अपने संपर्क में आने वालों को संक्रमण देता रहता है। टीबी के जीवाणु की चेन तोड़ने के लिए जरूरी है कि रोगी को जल्दी से जल्दी उपचार मिल सके। वरिष्ठ प्रयोगशाला पर्यवेक्षक बृजेश कुमार ने बताया उपचार शुरू होने के दो माह बाद रोगी से संक्रमण फैलने की आशंका न के बराबर रह जाती है। इस मौके पर ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पताल से डा. प्रहलाद सहाय अग्रवाल और डा. दिनेश अग्रवाल के अलावा अनिल कुमार, विनोद कुमार, यासीन अली और ईश्वर चंद्र आदि मौजूद रहे।
क्षय रोगियों को दिया जा रहा पोषाहार - एक किलो मूंगफली
- एक किलो भुना चला
- एक किलो गुड़
- एक किलो सत्तू
- एक किलो तिल/ गजक