ब्लूचिस्तान की गुहार भारत मदद करे इस बार

- चीन और तुर्की से पूरी तरह बंद किया जाए हर तरह का व्यवहार
- मध्यप्रदेश के मंत्री के खिलाफ की जाए कड़ी कार्रवाई
- दामन पर लगाए गए दाग धोने होंगे मोदी सरकार को
कमल सेखरी
छोड़ो कल की बातेें, कल की बात पुरानी। विश्च की तेज रफ्तार से दौड़ रही राजनीतिक परिस्थितियों में अब कोई और विकल्प रहा ही नहीं यह कहने के सिवाये अजी छोड़ो जी यह बात तो पुरानी हो गई। अब ट्रंप ने एक बार नहीं पांच बार क्या कहा ये और अगले एक दो दिन में हम भूल जाएंगे। पहलगाम के नरसंहारी दुर्दांत हत्यारे कहां गायब हो गए दो दिन बाद इसकी भी कहीं कोई चर्चा नहीं होगी। पाकिस्तान सरकार ने भारतीय सेना द्वारा तोड़े गए आतंकी ठिकानों को फिर से बनाना शुरू कर दिया और जो आतंकी आका बचे उन्हें करोड़ों रुपए का मुआवजा देकर फिर से खड़ा होने में सहयोग दे दिया है, इसकी चर्चा भी और दो-चार दिन बाद कहीं होती नजर नहीं आएगी। चीन ने अरुणाचल प्रदेश में हमारे कई क्षेत्रों के नाम बदलकर चीनी भाषा में लिख डाले हम उस पर भी बात नहीं कर रहे। चीन और तुर्की खुलकर पाकिस्तान के साथ खड़े हो गए हम इसका भी जिक्र नहीं कर रहे। लेकिन हमें अभी हाल में मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के कददावर मंत्री विजय शाह ने हमारे देश की सैन्य वीरांगना सोफिया कुरैशी के लिए जो अपमानजनक अपशब्द कहे और जिस पर माननीय उच्च न्यायालय ने स्वत: अपने आपसे संज्ञान ले लिया और मंत्री जी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिये। हम उस मंत्री के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। जो हमें आज की तारीख में अपनी सेना के मान-सम्मान को सुरक्षित रखने के लिए करनी ही चाहिए थी। हमें वर्तमान परिस्थितियों को आंकते हुए इतना तो कर ही लेना चाहिए कि हम तुर्की और चीन से हर तरह का व्यापार बंद कर दें और वहां भारतीयों के आने-जाने और उनके भारत आने-जाने पर तुरंत रोक लगा दें। इसी के साथ-साथ हमें ब्लूचिस्तिान की उस गुहार को भी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए जिसमें उसने पूरे विश्व से यह कहकर मदद मांगी है कि उन्हें स्वतंत्र देश का दर्जा दिया जाए क्योंकि पाकिस्तान की आर्मी उनके साथ अमानवता का दुर्व्यवहार कर रही और उनकी महिलाओं के साथ जबरन बेशर्मी वाली हरकतें कर रही है। ब्लूचिस्तान ने विश्व से की अपनी इस गुहार में भारत से विशेष अनुरोध किया है कि भारत उन्हें वैसी ही कुछ मदद करेगा जैसी उसने 1971 में मानवीय आधार पर बांग्लादेश को स्वतंत्र देश बनाने की दिशा में मदद की थी। ब्लूचिस्तान बड़ी ही हसरत भरी नजरों से वैसी ही कुछ मदद की गुहार भारत के समक्ष रख रहा है। हमें मानवीय आधार पर ब्लूचिस्तान की भी वैसी ही कुछ मदद करनी चाहिए जैसी हमने 1971 में बांग्लादेश के गठन के मामले में की थी। ऐसा करने से जहां एक ओर ब्लूचिस्तान को हम मानवीय आधार पर मदद कर पाएंगे वहीं दूसरी ओर पीओके को वापस भारत मिलाने की दिशा में भी साथ-साथ कार्रवाई कर सकेंगे। भारत को अब कुछ कदम आगे बढ़कर ब्लूचिस्तान और पीओके की समस्या को हल करने के लिए संयुक्त प्रयास करना चाहिए। ऐसा करने से हम एक तीर से दो शिकार कर पाएंगे। अगर हम ऐसा कुछ कर लेते हैं तो हमारे दामन पर कमजोरियों के जो दाग विपक्षी दलों ने पुरजोरता से लगा दिये हैं हम उन दागों को अपने इस प्रयास से मिटाने का काम भी कर पाएंगे। समूचा भारत देश मौजूदा केन्द्र सरकार की ओर इस अपेक्षा और नजर के साथ देख रहा है कि भारत साहसिक कदम उठाकर ऐसा कुछ कर पाएगा।