
नई दिल्ली। जाति जनगणना को लेकर विपक्ष द्वारा सरकार को समय-समय पर घेरने के चलते पिछले दिनों केन्द्र सरकार ने जाति जनगणना कराए जाने का ऐलान किया था। अब सरकार ने तारीखों का भी एलान कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में 1 अक्तूबर 2026 से जाति गणना के साथ जनगणना शुरू होगी। यह जनगणना देशभर में दो चरणों में कराई जाएगी। बता दें कि, जनगणना 1951 से प्रत्येक 10 साल के अंतराल पर की जाती थी (2021 में कोरोना महामारी के कारण टली)। जनगणना के आंकड़े सरकार के लिए नीति बनाने और उन पर अमल करने के साथ-साथ देश के संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करने के लिए बेहद अहम होते हैं। वहीं राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को भी अपडेट करने का काम बाकी है। सूत्रों के मुताबिक पहाड़ी राज्यों जैसे लद्दाख, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में 1 अक्तूबर 2026 से जनगणना शुरू होगी। वहीं मैदानी इलाकों में जातीय जनगणना की शुरूआत 1 मार्च 2027 में होगी। साल 2026 में जनगणना के बाद से भविष्य में जनगणना का चक्र बदल जाएगा। जो पहले 1951 से शुरू हुआ था वो बदलकर 2027-2037 और फिर 2037 से 2047 हो जाएगी।
जातियों की गणना के साथ-साथ दो चरणों में जनसंख्या जनगणना-2027 आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। जनसंख्या जनगणना-2027 के लिए संदर्भ तिथि मार्च, 2027 के पहले दिन 00:00 बजे होगी। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के गैर-समकालिक बफीर्ले क्षेत्रों के लिए, संदर्भ तिथि अक्टूबर, 2026 के पहले दिन 00.00 बजे होगी। उपरोक्त संदर्भ तिथियों के साथ जनसंख्या जनगणना आयोजित करने के इरादे की अधिसूचना जनगणना अधिनियम 1948 की धारा 3 के प्रावधान के अनुसार 16.06.2025 को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी। भारत में हर दस साल में जनगणना होती है। पहली जनगणना 1872 में हुई थी। 1947 में आजादी मिलने के बाद पहली जनगणना 1951 में हुई थी और आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। आंकड़ों के मुताबिक, 2011 में भारत की कुल जनसंख्या 121 करोड़ थी, जबकि लिंगानुपात 940 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष और साक्षरता दर 74.04 फीसदी था।
आपको बता दें कि देश में जनगणना की शुरूआत 1881 में हुई थी। पहली बार हुई जनगणना में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी हुए थे। इसके बाद हर दस साल पर जनगणना होती रही। 1931 तक की जनगणना में हर बार जातिवार आंकड़े भी जारी किए गए। 1941 की जनगणना में जातिवार आंकड़े जुटाए गए थे, लेकिन इन्हें जारी नहीं किया गया। आजादी के बाद से हर बार की जनगणना में सरकार ने सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के ही जाति आधारित आंकड़े जारी किए। अन्य जातियों के जातिवार आंकड़े 1931 के बाद कभी प्रकाशित नहीं किए गए।