- केरल हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के दौरान सुनाया फैसला
नई दिल्ली। कई बार आपने देखा होगा कि चुनाव के समय या फिर संवेदनशील मामलों में व्हाट्सग्रुप के एडमिन बाकी सदस्यों द्वारा पोस्ट करने पर पाबंदी लगा देते हैं, व्हाट्स ग्रुप पर कई चेतावनी भी दी जाती है कि कोई ऐसी पोस्ट न डाली जाए जिस पर कार्रवाई हो सके। दरअसल व्हाट्स ग्रुप के एडमिन पर कार्रवाई किए जाने का भय बना रहता था, लेकिन केरल हाईकोर्ट ने एक फैसले में व्हाट्स ग्रुप के एडमिन को बड़ी राहत दी है। फैसले में कहा गया है कि किसी भी व्हाट्सएप ग्रुप में आने वाले किसी भी आपत्तिजनक मैसेज के लिए ग्रुप एडमिन परोक्ष रूप से जिम्मेदार नहीं होगा। कोर्ट ने यह फैसला एक मामले की सुनवाई के बाद सुनाया।
दरअसल मार्च 2020 में ‘फ्रेंड्स’ नाम के एक व्हाट्सएप ग्रुप में एक वीडियो शेयर किया गया था जिसमें यौन कृत्यों में शामिल बच्चों को दिखाया गया था। इस ग्रुप को भी याचिकाकर्ता ने ही बनाया था और वही एडमिन थे। याचिकाकर्ता के अलावा दो अन्य भी एडमिन थे जिनमें से एक आरोपी था
पहले आरोपी के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 बी (ए), (बी) और (डी) और यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की धारा 13, 14 और 15 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। बाद में एडमिन होने के नाते याचिकाकर्ता को भी आरोपी बनाया गया जिसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने कहा कि एक व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन के पास अन्य सदस्यों पर एकमात्र विशेषाधिकार यह है कि वह ग्रुप से किसी भी सदस्य को हटा सकता है या एड कर सकता है। किसी व्हाट्सएप ग्रुप का कोई सदस्य ग्रुप में क्या पोस्ट कर रहा है, इस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है। वह किसी ग्रुप के मैसेज को मॉडरेट या सेंसर नहीं कर सकता है। जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने कहा कि आपराधिक कानून में परोक्ष दायित्व केवल तभी तय किया जा सकता है, जब कोई कानून ऐसा निर्धारित करे और फिलहाल आईटी एक्ट में ऐसा कोई कानून नहीं है। केरल हाईकोर्ट के इस फैसले से ग्रुप एडमिन को बड़ी राहत मिली है।