- जनपद में आज (23 नवंबर) से शुरू होगा एसीएफ
- पहले दो दिन आवासीय परिसरों में होंगे कैंप आयोजित
- 25 नवंबर से 10 दिन तक घर-घर खोजे जाएंगे क्षय रोगी
गाजियाबाद। जनपद में 23 नवंबर से एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान शुरू होगा। एसीएफ के लिए माइक्रो प्लान तैयार कर लिया गया है। अभियान के लिए जनपद में 265 टीम गठित की गई हैं। 23 और 24 नवंबर को आवासीय परिसरों (जैसे- वृद्धाश्रम, अनाथ आश्रम, छात्रावास और कारागार) में कैंप आयोजित कर टीबी के प्रति संवेदीकरण किया जाएगा और लक्षण युक्त व्यक्तियों का स्पुटम (बलगम का नमूना) लेकर जांच कराई जाएगी। 25 नवंबर से एसीएफ टीम घर-घर जाकर क्षय रोगियों को खोजने के काम में जुट जाएंगी। यह अभियान पांच दिसंबर तक चलेगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने बताया – एसीएफ टीम को निर्देश दिए गए हैं कि गृह भ्रमण के दौरान घर के मुखिया से जरूर मिलें। परिवार के सभी सदस्यों को टीबी के लक्षणों की जानकारी दें। उन्हें बताएं कि दो सप्ताह से अधिक खांसी या बुखार रहने, वजन कम होने, सीने में दर्द रहने और रात में सोते समय पसीना आने पर टीबी की जांच कराना जरूरी है। लोगों को बताएं कि एसीएफ के अलावा भी सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी की जांच और उपचार की सुविधा उपलब्ध है। टीबी भी अन्य बीमारियों की तरह है और नियमित उपचार से पूरी तरह ठीक हो जाती है। यदि किसी व्यक्ति में टीबी से मिलते-जुलते के लक्षण मिलते हैं तो उसकी स्पुटम जांच कराएं।
सीएमओ ने बताया कि एसीएफ टीम को संबंधित क्षेत्र में सक्रिय क्षय रोगियों की सूची अपने साथ रखने के निर्देश दिए गए हैं। एसीएफ टीम हर क्षय रोगी के घर में जाएं। क्षय रोगी का हाल जानने के साथ ही परिजनों से भी बात करें, यदि किसी परिजन में टीबी से मिलते जुलते लक्षण हों तो स्पुटम जांच कराएं। इसके साथ ही घर के मुखिया को बताएं कि टीबी संक्रामक बीमारी है, इसलिए परिजनों की भी समय-समय पर जांच होते रहना जरूरी है। यह भी बताएं कि रोगी को भावनात्मक सहयोग देना जरूरी है लेकिन बंद स्थान पर क्षय रोगी के साथ रहने पर मास्क का प्रयोग करें। यह भी बताएं कि रोगी सार्वजनिक स्थान पर जाएं तो मास्क लगाकर ही जाए। हालांकि दो माह के नियमित उपचार के बाद रोगी से उसके संपर्क में आने वालों को संक्रमण फैलने का खतरा नहीं रहता है।