- कोरोना संक्रमण से ग्रसित मरीजों के लिए जीवनदायिनी होगी साबित
गाजियाबाद। कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए आक्सीजन व वैंटीलेटर जब काम करना बंद कर देते हैं तो एकमो मशीन ऐसे मरीजों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाती है। उत्तर प्रदेश के पहले निजी कौशांबी स्थित यशोदा अस्पताल में एकमा मशीन को स्थापित किया गया है। उक्त मशीन को फीता काटकर सांसद वीके सिंह ने मरीजों की सेवा के लिए समर्पित किया। कार्यक्रम में जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह, यशोदा हॉस्पिटल कौशाम्बी के एमडी डॉ. पी एन अरोड़ा, सीएमओ डाक्टर भवतोष शंखधर की उपस्थिति में यह उद्घाटन समारोह हुआ। जनरल वीके सिंह ने कहा कि कोरोना संक्रमण से ग्रसित मरीजों के लिए जीवनदायनी सिद्ध हो चुकी तकनीक एक्स्ट्रा कोपोरियल मेम्ब्रेन आक्सीजन है, जो कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए देश के कुछ गिने चुने हॉस्पिटल्स में इस्तेमाल की जा रही है और अब यह सुविधा उत्तर प्रदेश के पहले निजी हॉस्पिटल यशोदा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, कौशाम्बी, गाजियाबाद में प्रारम्भ होने जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार भी जल्द ही इस मशीन को लगाने की प्रक्रिया शुरू करेगी। जनरल वी के सिंह का स्वागत प्रोफेसर डॉ. आरके मणि, डायरेक्टर क्लीनिकल सर्विसेज ने किया। जनरल वीके सिंह कहा कि सरकार इस बार कोविड 19 के प्रबंधन में पिछली बार रह गयी कमियों को पूरा करने में पूरे जतन से जुटी हुई है और उत्तर प्रदेश के हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज एवं संबद्धित हॉस्पिटल देने की कोशिश की जा रही है जिससे लोगों को इलाज में सुविधा होगी और देश में जो ज्यादा डॉक्टरों की जरूरत है वो पूरी होगी। उन्होंने कहा कि डॉक्टर की तुलना लोग भगवान्स से करते हैं क्योंकि आदमी जब बीमार पड़ता है उसको डॉक्टर के अंदर ही भगवान दिखता है। जनरल वी के सिंह ने डॉ. पी एन अरोड़ा को एवं हॉस्पिटल के समस्त डॉक्टरों, स्टाफ को ह्रदय से बधाई देते हुए कहा कि पिछले कोविड आपदा में भी हॉस्पिटल का कार्य सराहनीय रहा था और अब नई मशीन और सुविधा के साथ आप सब नई ऊर्जा से कोविड संक्रमित मरीजों की जान बचा सकेंगे। कार्यक्रम में एसीएमओ डॉ. सुनील कुमार त्यागी, डिप्टी कलेक्टर शाल्वी अग्रवाल, हॉस्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनुज अग्रवाल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. सुनील डागर एवं वरिष्ठ डॉक्टर डॉ. जेएस लाम्बा, डॉ. केके पांडेय, डॉ. धीरेन्द्र सिंघानिया, डॉ. असित खन्ना एवं एकमो टीम के डॉक्टरों डॉ. सचिन माहेश्वरी, सीनियर कंसल्टेंट क्रिटिकल केयर, डॉ. आयुष गोयल, सीटीवीएस सर्जन, डॉ सुहास नायर, सीनियर कंसल्टेंट क्रिटिकल केयर एवं डॉ. गौरव कंवर, कार्डिएक एनेस्थेटिस्ट ने विशेष रूप से शिरकत की।
डॉ. आर के मणि ने बताया कि एकमो मशीन कोविड 19 से बुरी तरह से प्रभावित फेफड़ों के मरीजों के लिए रिकवरी होने तक कृत्रिम फेफड़ों की तरह काम करती है। एकमो प्रबंधन की विशेष ट्रेनिंग ले चुके डॉ. सचिन माहेश्वरी ने कहा कि बता दें, ईसीएमओ पर मरीज को तभी रखते हैं जब दिल, फेफड़े ठीक से काम नहीं करते हैं और वेंटीलेटर का भी फायदा नहीं होता। इससे मरीज के शरीर में आॅक्सीजन पहुंचाया जाता है।
डॉ. सुहास नायर ने कहा कि एक्सट्राकॉपोरियल मेंब्रेन आॅक्सीजिनेशन (ईसीएमओ) एक एडवांस तकनीक की यांत्रिक जीवन दायनी (लाइफ सपोर्ट) मशीन है। इस मशीन से अशुद्ध रक्त को शुद्ध (आॅक्सीजनटेड) करके फिर से शरीर में वापस किया जाता है, जिससे रोगी के क्षतिग्रस्त अंग या दिल की गति ठीक हो जाती है। डॉ. गौरव कंवर ने बताया कि ईसीएमओ दो प्रकार के होते हैं, वेनोएक्टोरियल, जो हृदय और फेफड़ों को सपोर्ट करती है। वेनोवेनॉस, जो केवल फेफड़ों के लिए आक्सीकरण सपोर्ट करती है। ह्रदय रोग सर्जन डॉ. आयुष गोयल ने बताया कि ईसीएमओ फेफड़ों के प्रत्यारोपण सहित सर्जरी से पहले और बाद में गंभीर हृदय और श्वसन विफलता वाले रोगियों के लिए एक सेतु का काम करता है।